गुजरात सीएम ने नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करते हुए,कहा- मुस्लिम 150 में से कोई भी देश चुन सकते है
गुजरात सीएम ने नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करते हुए,कहा- मुस्लिम 150 में से कोई भी देश चुन सकते है
नागरिकता संशोधन कानून का एक तरफ देशभर में विरोध हो रहा है तो दूसरी तरफ समर्थन भी किया जा रहा है। इसी कड़ी में साबरमती आश्रम में नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थन में एक रैली को संबोधित करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कांग्रेस पर निशाना साधने का कोई मौका नही छोड़ा, उन्होंने कहा कि कांग्रेस महात्मा गांधी के वादे और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की इच्छा का भी सम्मान नहीं करना चाहती है. साथ ही नागरिका संशोधन का समर्थन करते हुए कहा कि मुसलमान रहने के लिए दुनिया के 150 देशों में से किसी भी देश को चुन सकते हैं लेकिन हिंदुओं के लिए भारत के सिवा कोई देश नहीं है.''बँटवारे के वक़्त पाकिस्तान में 22 फ़ीसदी हिंदू थे. आज की तारीख़ में अत्याचार और प्रताड़ना के कारण महज़ तीन फ़ीसदी हिंदू बचे हैं. इसीलिए हिंदू यहां वापस आना चाहते हैं. कांग्रेस ने जिस बात का कभी समर्थन किया था हम वही काम कर रहे हैं लेकिन आज कांग्रेस इसका विरोध कर रही है.'' हालांकि ये तथ्य सही नहीं है कि पाकिस्तान में हिंदू 22 फ़ीसदी से तीन फ़ीसदी हो गए हैं क्योंकि 22 फ़ीसदी का आँकड़ा तब का है जब पाकिस्तान से बांग्लादेश अलग नहीं हुआ था.
रूपाणी ने कहा, ''कुछ दशक पहले तक अफ़ग़ानिस्तान में दो लाख सिख और हिंदू थे और अब यह संख्या महज 500 रह गई है. मुसलमान तो दुनिया के 150 देशों में से कहीं भी जा सकते हैं लेकिन हिंदुओं के लिए भारत के अलावा कोई विकल्प नहीं है. ऐसे में बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता क्यों नहीं देनी चाहिए?'' ''गांधीजी का भी मानना था कि पाकिस्तान के हिंदू और सिखों को भारत की नागरिकता मिलनी चाहिए. यहां तक कि मनमोहन सिंह ने भी इसका समर्थन किया था. कांग्रेस को बताना चाहिए कि वो अब क्यों विरोध कर रही है।'' इन देशों के गुजरात में 10 हज़ार शरणार्थी हैं. इनमें से ज़्यादातर कच्छ में रहते हैं और सभी दलित हैं. जो सीएए का विरोध कर रहे हैं उन दलित नेताओं का असली चेहरा सामने आ गया है. यह भारत का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां यहां हैं और ममता बनर्जी जैसी नेता हैं. जो मुसलमानों को उकसा रहे हैं वो अपना एजेंडा पूरा करने में लगे हैं.