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कोरोना काल में आर्थिक स्थिति से परेशान फॉलन आउट  अतिथि विद्वान, सरकार का नहीं है कोई भी ध्यान

कोरोना काल में आर्थिक स्थिति से परेशान फॉलन आउट  अतिथि विद्वान, सरकार का नहीं है कोई भी ध्यान

 

भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव:- मध्यप्रदेश में कोरोना का कहर चरम पर पहुंचता जा रहा है ऐसे में महंगाई लोगों की और कमर तोड़ रही है. मध्य प्रदेश के फालेन आउट अतिथि विद्वान लगभग डेढ़ साल से गुहार लगाए जा रहे हैं कि उनकी सेवा में बहाली की जाए,

बता दें कि कमलनाथ सरकार के दौरान अतिथि विद्वानों को सेवा से बाहर कर दिया गया था।जिसके बाद वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि विद्वानों से यह वादा किया था कि उनकी सत्ता में वापसी होते ही सबसे पहला काम रहेगा अतिथि विद्वानों की सेवा में बहाली और नियमितीकरण. लेकिन आज 5 अप्रैल हो गया 23 अप्रैल 2020 को शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता ग्रहण की थी 1 साल से ज्यादा समय बीत चुका है लेकिन अभी भी 600 लगभग अतिथि विद्वान सेवा से बाहर है. लोगों की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. कई अतिथि विद्वानों ने आर्थिक संकट से जूझते जूझते मौत को गले लगा लिया. पर सरकार का इनके तरह बिल्कुल भी ध्यान नहीं है.

 अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर ही मध्य प्रदेश की सरकार में बड़ा परिवर्तन हुआ था. कमलनाथ की सरकार के दौरान अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर भी ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर हुए थे और फिर वह अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे.

 अतिथि विद्वान मंत्रियों से मिले, पर सभी की तरफ से सिर्फ आश्वासन दिए जा रहे हैं. अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष डॉ सुरजीत भदौरिया ने कहा कि फॉलन आउट अतिथि विद्वानों की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. उनकी दिवाली भी खराब रही और इस बार होली भी फीकी पड़ी रह गई.

 आर्थिक संकट ऐसी हो गई है कि कई अतिथि विद्वान अपने बच्चों को पढ़ा पाने में भी अक्षम हैं. फीस नहीं भरे जाने की वजह से मासूम बच्चों का नाम स्कूल द्वारा काट दिया जा रहा है. पेरेंट्स के साथ-साथ बच्चों की भी मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. और यही वजह है कि धीरे-धीरे अतिथि विद्वान काल के गाल में समा रहे हैं.

मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी की बातों से अतिथि विद्वानों में उम्मीद जगी है।उन्होंने सतना में कहा था कि वह अतिथि विद्वानों के मुद्दे को उठाएंगे.

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