अब और तेज़ होगा किसानों का आंदोलन, ऐसे किया जाएगा सरकार का घेराव, प्लान तैयार
नई दिल्ली – किसान संगठनों की अपनी मांगों को लेकर सरकार के साथ पांच दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन बात नहीं बन पाई हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने भी मंगलवार को किसान संगठनों के 13 नेताओं से बातचीत की थी, लेकिन उसमें भी कोई हल नहीं निकल पाया था। उसके बाद बुधवार को सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच होने वाली छठे दौर की वार्ता रद्द कर दी गई थी।
हालांकि, मंगलवार की बैठक में तय हुआ था कि सरकार किसानों को लिखित में प्रस्ताव भेजेगी। जिसके बाद सरकार की ओर से बुधवार को प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन किसानों को ये पसंद नहीं आया, और किसानों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।
लिखित प्रस्ताव में एमएसपी की गारंटी समेत मंडी को लेकर वादे किए गए। कृषि कानूनों को वापस लेने पर तो सरकार राजी नहीं है, लेकिन संशोधन प्रस्तावों में एपीएमसी को मजबूत करने की बात कही गई। विवाद की सूरत में स्थानीय अदालत जाने का अधिकार दिया गया। पराली जलाने पर सख्त कानून में ढील की भी बात कही गई। लेकिन किसान संगठनों ने सरकार के इस प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया।
इधर, किसान नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन में यहां कहा कि सरकार अगर दूसरा प्रस्ताव भेजे तो वे उन पर विचार कर सकते हैं। किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि अगर तीनों कानून रद्द नहीं किये गए तो एक के बाद एक दिल्ली की सड़कों को बंद किया जाएगा और किसान सिंघु बॉर्डर पार कर दिल्ली में प्रवेश करने के बारे में भी फैसला ले सकते हैं। कक्का ने बताया कि इन कानूनों के विरोध में किसान 14 दिसंबर को राज्यों में जिला मुख्यालयों का घेराव करेंगे और 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर राजमार्ग बंद किया जाएगा। साथ ही 12 दिसंबर को सभी टोल प्लाजा फ्री करेंगे।
वहीं, किसान नेता दर्शन पाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तीनों कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार से अगले दौर की वार्ता पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया हैं। 12 दिसंबर को आगरा-दिल्ली एक्सप्रेस-वे को बंद किया जाएगा। दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-आगरा हाइवे को 12 दिसंबर को रोका जाएगा।
पूरे देश में आंदोलन तेज होगा। उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्रियों का घेराव होगा। 14 दिसंबर को बीजेपी के ऑफिस का घेराव होगा।
बता दें कि सरकार जहां कृषि कानूनों को वापस ना लेने पर अड़ी है तो किसान कृषि कानून को रद्द किए जाने की मांग पर अडिग हैं।