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किसान आंदोलन : बंगाल इलेक्शन की सफलता के बाद अब मिशन यूपी की होगी शुरुआत

नईदिल्ली/भोपाल : कृषि कानून के विरोध में किसानों के आंदोलन की शुरुआत पिछले साल 26 नवंबर को हुई थी। पंजाब से है शुरू हुए इस विरोध ने करीब-करीब पूरे देश में माहौल सरकार विरोधी बना दिया था। दिल्ली में तीनों बॉर्डर पर किसान 7 महीने बाद भी डटे हुए हैं। कृषि कानून के वापस न लेने तक किसानों का आंदोलन लगातार जारी रहेगा।

बता दे कि 26 जून को किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होंगे। इस मौके पर किसान देशभर में आंदोलन करने जा रहे है, मध्य प्रदेश में तहसील से लेकर ब्लॉक स्तर तक किसान कृषि कानून को वापस लेने के लिए राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य शिवकुमार कक्का जी ने कहा कि शुरुआत में प्रतीकात्मक रूप से सरकार को कानून को वापस लेने ज्ञापन सौंप रहे हैं। इसके बाद देशभर में आंदोलन उग्र होगा। उन्होंने बताया कि कोरोना गाइड लाइन के साथ मध्य प्रदेश में जिला मुख्यालय से लेकर तहसील और ब्लॉक स्तर तक प्रदर्शन किया जाएगा और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों की किसानों को कोई आवश्यकता नहीं हैं। यही वजह है कि इन अनुपयोगी कृषि कानूनों को लेकर विरोध चलता रहेगा।

शिवकुमार कक्का जी ने कहा कि हमारा मिशन बंगाल इलेक्शन था। बंगाल इलेक्शन की सफलता के बाद अब मिशन यूपी की शुरुआत होगी। मिशन यूपी के बाद मिशन पंजाब की शुरुआत होगी। 2024 तक चुनाव वाले हर राज्य में हमारा यह मिशन जारी रहेगा।

उन्होंने कहा कि सरकार 7 महीने बाद भी मांगों को लेकर सजग नहीं है, इसीलिए इस बार का विरोध प्रदर्शन गांधीवादी तरीके से किया जाएगा। कृषि कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन एक बार फिर रफ्तार पकड़ेगा।

 

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