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कमलनाथ के मुकाबले के नेता है दिग्विजय सिंह, लेकिन नहीं मिलेगा "प्रदेशाध्यक्ष पद", इन दिग्गजों के नाम आगे

भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – सोमवार को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का बड़ा बयान सामने आया। अपने गृह नगर छिंदवाड़ा से कमलनाथ ने राजनीति से संन्यास लेने का संकेत दिए। उन्होंने कहा है कि अब किसी पद को लेकर उनकी लालस नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में काफी कुछ हासिल किया हैं। वह उस दिन सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेंगे, जिस दिन छिंदवाड़ा की जनता उनसे ऐसा करने के लिए कहेगी। 

उनके इस बयान के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई हैं। 

खबरों की मानें तो वे एक पद जल्द छोड़ सकते हैं। संन्यास की बात कहने से संकेत साफ है कि वे प्रदेश संगठन की बागडोर किसी अन्य नेता को सौंप सकते हैं। बता दे कि अभी कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष हैं। वहीं, कमलनाथ के राजनीतिक कद को देखें तो मध्य प्रदेश में उनके मुकाबले के नेता दिग्विजय सिंह ही हैं, लेकिन दिग्विजय सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने की उम्मीद नहीं हैं। ऐसे में दूसरी लाइन के नेताओं में से किसी को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी मिल सकती हैं।

यदि कमलनाथ अगर नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ते है तो ये पद आदिवासी वर्ग के नेता को मिल सकता हैं। ऐसा निर्णय होने की उम्मीद इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि कमलनाथ के कट्टर समर्थक पूर्व मंत्री बाला बच्चन को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए दिग्विजय सिंह सहमत हैं। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से बन सकता हैं। 

इधर, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का दावा है कि यदि कमलनाथ अध्यक्ष पद छोड़ते हैं तो किसी युवा नेता को ही कमान सौंपी जाएगी। ऐसे में जीतू पटवारी या अरुण यादव में से किसी एक को मौका मिल सकता हैं। हालांकि जमुनादेवी के भतीजे और पूर्व मंत्री उमंग सिंघार भी इस दौड़ में हैं, क्योंकि जीतू और अरुण के अलावा उमंग भी राहुल गांधी की कोर टीम के मेंबर हैं।

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