सच्चाई और संघर्ष दिखाती छपाक !

एंटरटेनमेंट डेस्क : फिल्मों को हमेशा से समाज का आईना के तौर पर देखा जाता है | बीते कुछ साल में रिलीज़ हुए फिल्मों ने इस बात को सही साबित भी किया है | तारे ज़मीन पर से लेकर मसान सरीखे फिल्मों ने इस बात को सही साबित भी किया है | इसी कड़ी में आज रिलीज़ हुई फिल्म छपाक भी है | छपाक एसिड अटैक की सच्ची कहानी पर आधारित है | क्यों ,कैसे और कब के बीच इस फिल्म की पटकथा लिखी गयी है , मेघना गुलजार ने फिल्म की कहानी का नब्ज पकड़कर इसे निर्देशित किया है | छपाक आपको यह सोचने पर मजबूर कर देती है ,की कितना कठिन होता एक एसिड अटैक पीड़िता की ज़िन्दगी | कैसे समाज और लोग एक एसिड अटैक पीड़िता की ज़िन्दगी को और मुश्किल बना देती है, जो पहले से ही ख़राब हो चुकी है |
कहानी , अभिनय और निर्दशन :
फिल्म की कहानी एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल की निजी ज़िन्दगी से ली गयी हैं | 19 साल की लक्ष्मी की ज़िन्दगी में तब तूफान आ जाता है , जब उसके ऊपर 2015 में एक मनचले युवक ने तेजाब से उसका चहेरा ख़राब कर दिया था | फिल्म में लक्ष्मी का किरदार दीपिका पादुकोण निभा रही हैं | फिल्म लक्ष्मी के संघर्ष पर आधारित है , इसी कड़ी में वो एक एनजीओ के कर्ता-धर्ता अमोल (विक्रांत मेसी) से मिलती है, यह एनजीओ अन्य एसिड अटैक पीड़ित लड़कियों के लिए काम करती है | दीपिका का काम शानदार है, उन्होंने रीयलिस्टिक एक्टिंग की है , साथ में विक्रांत मेस्सी का काम भी अच्छा है | वकील के किरदार में मधुरजीत सरघी काम भी अच्छा है |
मेघना गुलजार ने फिल्म का ट्रीटमेंट बिल्कुल रेलस्टिक रखा है , साथ में फिल्म को कहीं भी मेलोड्रामटिक नहीं होने दिया है | फिल्म का फर्स्ट हाफ सुस्त है , मगर जैसे -जैसे फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है , फिल्म अपनी रफ़्तार पकड़ लेती है |
क्यों देखे
फिल्म में एक सच्ची कहानी, दीपिका पादुकोण का शानदार अभिनय और मेघना गुलजार का निर्दशन | अगर आप दीपिका और एक अच्छी कहानी के फैन हैं , तो ये फिल्म आपके लिए हैं| फिल्म कहीं भी आपको निराश नहीं करेगी |