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दमोह : किसानों के लिए फंदा है कानून , दुष्प्रचार छोड़ बातचीत का रास्ता अपनाए सरकार-एकता परिषद के संस्थापक

दुष्प्रचार छोड़ बातचीत का रास्ता अपनाए सरकार
एकता परिषद के संस्थापक पहुंचे दमोह, कहा सुविधा नहीं किसानों के लिए फंदा है कानून

दमोह से शंकर दुबे की रिपोर्ट : – सरकार दुष्प्रचार करना छोड़े और किसानों के साथ सार्थक बातचीत का रवैया अपनाए नहीं तो यह किसान आंदोलन और लंबा चलेगा। यह बात एकता परिषद के संस्थापक और गांधीवादी विचारक राजगोपाल पीवी ने आज जन जागरूकता यात्रा के दौरान संक्षिप्त दमोह प्रवास में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कही।स्थानीय डॉक्टर लोहिया उद्यान में उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार किसान आंदोलन को खालिस्तानी, आतंकवादी, अलगाववादी और टुकड़े टुकड़े गैंग का आंदोलन का नाम देकर इस तरह से किसान आंदोलन को नहीं कुचल सकती है । सरकार का यह रवैया पूरी तरह से गैर जिम्मेदाराना है। पहले दिन से ही सरकार किसान आंदोलन का दुष्प्रचार करने में लगी हुई है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जब आप बॉर्डर से आतंकवादियों को पकड़ लेते हैं तो देश के अंदर छिपे आतंकवादियों को क्यों नहीं पकड़ लेते?  किसानों के नाम पर क्यों दुष्प्रचार कर रहे हैं?  राजगोपाल ने कहा कि सरकार किसान कानून के नाम पर तानाशाही पूर्ण रवैया अपना रही है। किसानों का आंदोलन पूरी तरह से जायज है और उनकी मांगें भी जायज हैं। इसलिए सरकार को एक बार गंभीरता से उस पर विचार करना चाहिए।  राजगोपाल ने बताया कि एकता परिषद ने अपना पूरा समर्थन किसान आंदोलन को दिया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार किसान संगठनों में फूट डालने का प्रयास कर रही है । एक एक संगठन को बातचीत के लिए आमंत्रित करती है और उन्हें किसी तरह से तोड़ने की कोशिश कर रही है। सरकार का यह रवैया उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानून भारत से कृषि और कृषक को समाप्त कर देंगे। आवश्यक वस्तु अधिनियम नियंत्रण मुक्त होने से पूरे देश में कारपोरेट लॉबी का कब्जा हो जाएगा । अभी तक मात्र कृषि ही इससे अछूती थी। लेकिन यह तीनों कानून किसानों के लिए फंदा साबित होंगे । डॉ राजगोपाल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम देशभर के संगठनों को एकत्र कर रहे हैं और किसान आंदोलन में जोड़ने का भी प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा यह आंदोलन महज किसानों का नहीं है। देश के विभिन्न संगठनों को अच्छी तरह समझना चाहिए कि कृषि से ही उनके व्यापार धंधे जुड़े हुए हैं । इसलिए किसानों की लड़ाई में उन्हें भी आगे आना चाहिए नहीं तो किसानों के साथ-साथ उनकी उद्योग धंधे भी चौपट हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस कानून के आने से मंडियां पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी और कारपोरेट घराने अनुबंध खेती के नाम पर किसानों की जमीन हड़प लेंगे। इसी तरह आवश्यक वस्तु संशोधन कानून 2020 लागू हो जाने के बाद स्टॉक लिमिट पूरी तरह खत्म हो जाएगा तथा जमाखोरी को कानूनी संरक्षण मिलेगा।  

कल तक देशभक्त आज देशद्रोही हो गए? : –

समाजसेवी संतोष भारती ने कहा कि कल तक लॉकडाउन में जो सिख समाज और किसान लाखों लोगों को फ्री लंगर खिला रहे थे तब वह देशभक्त थे, लेकिन जैसे ही आज अपने हक की लड़ाई के लिए वह सड़कों पर आए तो देशद्रोही और टुकड़े टुकड़े गैंग हो गए? सरकार लोगों को इतना मूर्ख न समझे। भारती ने कहा कि लोग सरकार और उसकी काली करतूतों को समझ चुके हैं। भारती ने कहा कि जब कारपोरेट घरानों के लिए 9 मिनट में 9 कानून बनाए जा सकते हैं ?तो किसानों के हित में कानून क्यों नहीं बनाया जा सकता है। सरकार को यह तीनों कानून रद्द करना चाहिए।

मुरैना से दिल्ली तक की पदयात्रा : –

एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक अनीश कुमार एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष रन सह परिहार ने बताया कि यह यात्रा छत्तीसगढ़ के कवर्धा से शुरू हुई है। जो शहर शहर में लोगों को जन जागरूक करते हुए आज दमोह पहुंची है । इसके बाद यह यात्रा सागर से होते हुए मुरैना पहुंचेगी। मुरैना से दिल्ली तक पदयात्रा निकाली जाएगी जो किसान आंदोलन में सम्मिलित होगी। समाजसेवी नंदलाल से परिहार बेस्ट पत्रकार नरेंद्र दुबे अनुपम भारती सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।                                                                                                                                                                                                               

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