कोरोना का टीका लग रहा है, उसके बदले पैसे भी मिलेंगे, इसलिए मैं गया था, बिगड़ गई तबीयत, फिर नहीं आई अस्पताल की गाड़ी
मध्यप्रदेश/भोपाल – कोवैक्सीन ट्रायल टीका लगवाने वाले वाॅलंटियर दीपक मरावी की मौत के बाद अब कई तरह के खुलासे हो रहे हैं। शनिवार को मीडिया से चर्चा के दौरान क्लीनिकल ट्रायल में शामिल शंकर नगर और उड़िया बस्ती के वॉलिटियर्स ने कई तरह के राज़ खोले हैं। क्लीनिकल ट्रायल में शामिल हुए लोगों ने बताया की जब से टीके का पहला डोज लगने के बाद सेहत बिगड़ने की बात वॉलिंटियर्स ने ट्रायल टीम के डॉक्टरों को बताई, तब से अस्पताल की गाड़ियों का आना बंद हो गया हैं।
लोगों ने बताया की काेवैक्सीन के थर्ड फेज के ट्रायल के दौरान टीका लगवाने के लिए बस्ती में लोगों की काउंसलिंग करने दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक रोज पीपुल्स अस्पताल की गाड़ी आती थी। बस्ती के लोग, टीका लगवाने के लिए तैयार हो जाएं, इसके लिए एक-एक घंटे तक एक-एक व्यक्ति को क्लीनिकल ट्रायल के बारे में बताते थे
टिंबर नगर निवासी जितेंद्र सिंह ने बताया की – 10 दिसंबर को टीका लगा था। पीपुल्स मेडिकल कॉलेज की गाड़ी आई थी। उसमें से आवाज लगा रहे थे कि कोरोना का टीका लग रहा है और उसके बदले पैसे भी मिलेंगे, इसलिए मैं गया था। टीका लगने के कुछ दिन बाद तबीयत खराब होने लगी। अस्पताल से फोन आया तो इसकी जानकारी दी। बुखार और सर्दी-खांसी हो रही थी। अभी पहले से आराम हैं।
उड़िया बस्ती के निवासी मान सिंह परिहार ने बताया की – मैं 21 दिसंबर को टीका लगवाने गया था। इसके बाद दूसरा टीका 18 जनवरी को लगना था, लेकिन नहीं गया। इसकी वजह पहला टीका लगने के बाद ही तबीयत खराब होने लगी। चक्कर आने लगे, बुखार आ गया। 750 रुपए के चक्कर में गया था, लेकिन क्या पता था कि तबीयत खराब हो जाएगी।
शंकर नगर के निवासी मोहन लाल जाटव के मुताबिक – मजदूरी के लिए कोई काम नहीं दे रहा हैं। सोचा रुपए भी मिल रहे हैं और टीका भी लग जाएगा, इसलिए 10 दिसंबर को टीका लगवाया। कुछ दिन बाद ही बीमार हो गया। पेट दर्द और दूसरी समस्याएं होने लगी हैं। रविवार को दूसरा टीका लगना है, लेकिन मैंने इनकार कर दिया हैं। मेरे घर में 5 लोगों को टीके का पहला डोज लगा था।
गौरतलब है कि दोनों बस्तियों के 10 से ज्यादा वॉलिंटियर्स ने वैक्सीन के पहले डोज के बाद सेहत बिगड़ने के कारण दूसरा डोज लगवाने से इनकार कर दिया हैं। इतना ही नहीं, ट्रायल वैक्सीन का पहला डोज लगवा चुके कई वॉलिंटियर तबीयत बिगड़ने के बाद भी पीपुल्स मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए नहीं गए हैं। लेकिन, क्लीनिकल ट्रायल टीम की ओर से रोजाना वैक्सीन का दूसरा डोज लगवाने के लिए कॉल आ रहे हैं।