उपचुनाव : सिंधिया के गढ़ में कांग्रेस ने उतारा अपना इक्का, दी ये बड़ी ज़िम्मेदारी

भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – कोरोना संकटकाल (Corona Crisis) के बीच मध्यप्रदेश में उपचुनाव को लेकर घमासान मच चुका हैं। दोनों ही प्रमुख पार्टियां आमने सामने हैं। इसके साथ ही दोनों ही पार्टियां इसकी जमकर तैयारियां भी कर रहीं हैं। बीजेपी (BJP) सत्ता में बने रहने के लिए रणनीति बना रहीं है, तो वहीं कांग्रेस (Congress) सत्ता में आने के लिए नए नए दावं चल रहीं हैं।
बता दे कि 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में 16 सीटें ग्वालियर चंबल (Gwalior-Chambal) संभाग (Division) की हैं। जिसपर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Kamalnath) की नज़रें हैं। इन सीटों पर बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का एक तरह राज माना जाता हैं।
इसके साथ-साथ यह बीजेपी के कद्दावर नेताओं नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) जयभान सिंह पवैया (Jaybhan Singh Pawaiya) प्रभात झा (Prabhat Jha) यशोधरा राजे सिंधिया (Yashodhra raje scindia) जैसे बड़े नेताओं की प्रभाव क्षेत्र भी हैं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ इन सीटों पर किसी तरह भी जीत हासिल करना चाहते हैं। यही कारण है कि उन्होंने इस सीटों पर शिवराज सरकार (Shivraj Government से लगातार 15 साल लोहा लेते रहे केके मिश्रा (KK Mishra) को मैदान में उतार दिया हैं।
केके मिश्रा को इस बार यह अहम जिम्मेदारी दी गई है कि वह न केवल सिंधिया के गढ़ में सेंध लगाकर कांग्रेस की जीती हुई सीटों को वापस लाएं बल्कि साथ ही साथ सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र को भी कम करें।
बता दे कि केके मिश्रा को कांग्रेस का फायरब्रांड नेता माना जाता रहा है और शिवराज सरकार (Shivraj Government) की 15 साल के कार्यकाल में वह लगातार कई मुद्दों पर सरकार को घेरते रहे हैं जिनमे व्यापम, डंपर जैसे मामले भी शामिल हैं। इसको लेकर उन्हें सरकार की ओर से मानहानि (Defamation) का भी सामना करना पड़ा था लेकिन इसके बावजूद उनकी धार में कोई कमी नहीं आई। ऐसे में अब देखना दिलचस्प हो गया है कि केके मिश्र इस बार कांग्रेस के लिए क्या कुछ कर पाते हैं।