कांग्रेस और कमलनाथ, नगरीय निकाय के चुनावों में कांग्रेस का बेहतरीन प्रदर्शन
भोपाल/हेमन्त कुशवाहा : कमलनाथ 2018 में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बनें, बनते ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनीं। भले ही सरकार ज्यादा न टिक पाई हो पर उन्होंने भाजपा और शिवराज के रथ पर ब्रेक तो लगाया।
2019 के लोकसभा चुनावों में दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैंसे दिग्गज नेता अपनी सीट नहीं बचा पाये तब वह अकेले ऐंसे नेता थे जो अपनी सीट छिंदवाड़ा बचाने में सफल हुए। यह कमलनाथ का ही जादू कहा जा सकता है।
आज छिंदवाड़ा में कांग्रेस महापौर है, जिला पंचायत अध्यक्ष है ,और ज्यादातर नगरपालिका, नगर परिषद में कांग्रेस का ही कब्जा है। जो इस बात को इंगित करता है कि अब सिर्फ और सिर्फ कमलनाथ के भरोसे ही कांग्रेस की नैया पार होगी।
ऐसा नहीं है कि कमलनाथ छिंदवाड़ा तक ही सीमित हैं उन्होंने अपना संपूर्ण मध्यप्रदेश में व्यापक प्रसार किया है। आज की स्थिति में मध्यप्रदेश में हुए नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले 30 सालों में बेहतर हुआ है। सभी टिकट कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने ही बांटे , उन्होंने अकेले ही कमान संभाली, चाहे ग्वालियर हो या रीवा , भोपाल हो या इंदौर, मुरैना हो या बुरहानपुर, जबलपुर हो या रतलाम सभी जगहों पर रैलियां कीं। जिसका परिणाम है कि आज पांच नगर निगमों में कांग्रेस का महापौर है। जो कि एक बड़ी उपलब्धि है और कांग्रेस के लिए बूस्टर डोज साबित हुई है।
ग्वालियर नगर निगम और जबलपुर नगर निगमों में लगभग 5-6 विधानसभाओं के मतदाता भी आते हैं जो इस और इशारा कर रहे हैं कि मूमेंटम क्या है। इन दो बड़े नगर निगमों के नतीजे विधानसभाओं पर भी असर डालेंगे।
जिन विधानसभाओं में कांग्रेस जीती है वहां भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। जहां एक ओर सिंधिया के वर्चस्व को कांग्रेस ने चकनाचूर किया है वहीं कांग्रेस में अब केवल कमलनाथ हैं जो कि कांग्रेस के लिए एक अच्छा संकेत है। बंटी हुई कांग्रेस कमलनाथ के नाम पर एक है।
2023 यानि कि अगले साल कांग्रेस का एकमात्र नेता होगा जो कि पूर्व में दो या चार हुआ करते थे। यह एक तरीके से एकजुटता का संकेत है और कांग्रेस की घर वापसी का भी।
नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनावों में कांग्रेस की वापसी जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को हिम्मत देगी और उनके हौसलों को बुलंद करेगी। 2018 में कांग्रेस के पास एक भी महापौर नहीं था तब कांग्रेस सत्ता में आ गई थी तो आज कांग्रेस के पास 5 महापौर हैं। आगे देखना दिलचस्प होगा कि कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस अगले विधानसभा चुनावों में कितना अच्छा प्रदर्शन कर पाती है।
लेख : हेमन्त कुशवाहा