बुढ़ागर : चड्डा माइंस में मजदूरों का हनन,13 वर्ष पुराने कर्मचारी को बिना कारण बताये निकाला,20 कर्मचारी के साथ पहले भी ऐसा किया
बुढ़ागर : चड्डा माइंस में मजदूरों का हनन,13 वर्ष पुराने कर्मचारी को बिना कारण बताये निकाला,20 कर्मचारी के साथ पहले भी ऐसा किया
- एकतरफ़ बेरोजगारी चरम पर ऊपर से कोरोना काल में ऐसा दुर्व्यवहार
- चड्डा माइंस जबसे चालु हुई तबसे काम कर रहा था नरेंद्र केवट
- बुढ़ागर धमकी स्थित चड्डा माइंस का मामला
द लोकनीति डेस्क सिहोरा
कोरोना काल में जहां एकतरफ जिदंगी और मौत से आदमी लड़ रहा है। वही ऊंचे संस्थान के लोग अपने निजी फायदे के लिए लोगों को रोजगार से निकाल रहे है। देश के प्रधानमंत्री मोदी बोलते है किसी की सैलरी नहीं काटनी है न ही किसी को रोजगार से निकाला जाना है लेकिन इन निर्देशों का पालन मध्यप्रदेश में न तो अधिकारी करवा रहे है न शिवराज सरकार ,अब गरीब मजूदरों को लगता है कि मीडिया में उनकी बात रखने से शायद उनका काम बन जाए तो हम भी उनकी इस उम्मीद को न तोड़ते हुए अपना काम चुपचाप कर देते है। अब ऐसे संस्थानों पर प्रशासन क्या कार्रवाई करता है यह देखना होगा क्योंकि प्रशासन भी बड़े लोगो की बोली बोलता है। कानून नियम सिर्फ़ छोटे लोगो के लिए होते है।
क्या है पूरा मामला ??
SGMMORES. P. T. L. T.. D. चड्डा माइंस बुढ़ागर धमकी का नया मामला सामने आया है नरेंद्र केवट उम्र 45 वर्ष जो कि 2006 से चड्डा माइंस में कार्यरत है जिसके मालिक राजीव चड्डा ने लिवरों के साथ बहुत ही घटिया दबाव पूर्ण कार्य किया है जिसका जीता जागता कारनामा नरेंद्र केवट रामपुर निवासी सभी लोगों के सामने हैं जब से माइंस चालू हुई है। तब से वह व्यक्ति वहां पर कार्यरत है ना ही उसका पीएफ नाही बोनस किसी भी प्रकार से माइंस के माध्यम से सहायता मिलती थी चड्डा माइंस के मालिक राजीव चड्ढा ने 18 सितंबर को नरेंद्र केवट को फोन किया और प्लांट में कीटनाशक दवाई के छिड़काव के लिए बुलाया तब नरेंद्र केवट ने बताया कि सर मेरी बच्ची बीमार है और मैं अभी ड्यूटी से आया हूं मैं अभी नहीं आ सकता तब जाकर राजीव चड्डा जी ने बोला ठीक है कल आ जाना जब वह व्यक्ति कल जाता है तो गेटमैन उससे कहते हैं राजीव चड्डा जी का आदेश है। आपको नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है उसने कई बार चड्डा जी को फोन लगाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया बगैर नोटिस के व्यक्ति को काम से निकाल दिया गया आज वह व्यक्ति 15 से 20 दिन तक घर में बैठा है । जो कि खाने तक को मोहताज है। यह केवल नरेंद्र केवट का ही मामला नहीं ऐसे कई वर्करों के साथ प्लांट के मालिक राजीव चड्डा जी ने किया है। कम से कम 20 से 25 लेबर को बगैर नोटिस के काम से बेदखल कर दिया गया इसका प्रूफ नरेंद्र केवट के मोबाइल में रिकॉर्डिंग के तौर पर है। कुल मिलाकर चड्ढा प्लांट जिसके मालिक राजीव चड्डा जी हैं उन्होंने कार्यरत लेबर को बंधुआ बना कर रखा है अगर उनकी बात मानो तो सही है लेकिन दूसरे की मजबूरी उनके लिए सही नहीं है ऐसे माइंस मालिकों के ऊपर सख्त से सख्त कार्यवाही होना चाहिए जोकि किसी गरीब आदमी को दोबारा परेशान ना करें और विदाउट नोटिस के जिन जिन को निकाला गया है उन्हें वापस बुलाया जाए उन्हें काम पर लगाया जाए नहीं तो ऐसे माइंस मालिकों की मनमानी नहीं चलेगी शासन को भी ज्ञात हो ताकि वह कोई कार्यवाही कर सके अगर कार्यवाही नहीं होती इसका जवाब दार प्रशासन होगा।