कानपुर। बिकरू हत्याकांड मामले में मारे गए गैंगस्टर अमर दुबे की विधवा खुशी दुबे को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शनिवार देर रात जेल से रिहा कर दिया गया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 जनवरी को खुशी दुबे को जमानत दी थी। खुशी दुबे पर बिकरू हत्याकांड मामले में मुख्य आरोपी की मदद करने का आरोप है।
बता दें कि ख़ुशी दुबे ढाई साल तक कानपुर देहात जेल में बंद थी। इससे पहले खुशी ने इस मामले में जमानत से इनकार करने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत ने खुशी को जमानत देते हुए कहा कि जुलाई 2020 में घटना के वक्त वह नाबालिग थी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने खुशी दुबे की जमानत याचिका का विरोध किया था। उच्च न्यायालय के समक्ष खुशी ने कहा था कि उसे 1 सितंबर, 2020 को एक बोर्ड में नाबालिग घोषित किया था। साथ ही उसने दलील दी थी कि वह विकास दुबे के गिरोह की सदस्य नहीं थी, बल्कि उसका पति मारे गए गैंगस्टर का रिश्तेदार था और घटना वाले दिन वे विकास दुबे के घर गए थे। बिकरू कांड के तीन दिन पहले ही उसकी शादी अमर दुबे से हुई थी। वहीं खुशी दुबे ने कहा कि, मुझे पुलिस ने 4 जुलाई को उठाया और 8 जुलाई को जेल भेज दिया। उन चार दिनों में मैंने जो कुछ झेला, उसका मैं वर्णन भी नहीं कर सकती। मेरे साथ जो हुआ वो मत पूछिए।
बता दें कि, तीन जुलाई 2020 को पुलिस की एक टीम गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई थी। गैंगस्टर और उसके आदमियों ने टीम पर गोलियां चलाईं। जिससे आठ पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी। बाद में विकास और अमर दुबे सहित उसके पांच सहयोगी मुठभेड़ों में मारे गए।