बड़ा सवाल : आखिर गरीबों पर ही क्यों किया जा रहे है टीके का परीक्षण? वाॅलंटियर दीपक मरावी की मौत से हड़कंप
भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – 7 जनवरी को भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा बनाई गई स्वदेशी कोरोना वैक्सीन (कोवैक्सीन) का फाइनल ट्रायल पूरा हुआ हैं। लेकिन उसके अलगे ही दिन दुखःद खबर सामने आई है जहां राजधानी भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में 12 दिसंबर को कोवैक्सीन का ट्रायल टीका लगवाने वाले 47 वर्षीय वाॅलंटियर दीपक मरावी की 21 दिसंबर को मौत हो चुकी हैं।
ट्रायल टीका लगवाने वाले वाॅलंटियर दीपक मरावी की मौत के बाद से प्रदेश में सियासी बवाल मच गया हैं। विपक्ष लगातार इसको लेकर सत्ताधारी भाजपा को घेरी हुई हैं। शनिवार को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह टीला जमालपुरा स्थित सूबेदार कॉलोनी में मृतक के परिवार से मिलने पहुंचे।
इस दौरान मृतक की पत्नी का दर्द छलका और उन्होंने दिग्विजय सिंह को अपनी पीड़ा बताई। मृतक की पत्नी ने बताया कि उनकी बिना जानकारी के उनके पति को टीका लगाया गया। उनके पति को कोई भी बीमारी नहीं थी। टीका लगने से ही उनकी मौत हुई है और उनकी मृत्यु के बाद शासन प्रशासन ने आज तक सुध नहीं ली।
पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने इस मामले को लेकर सवाल उठाए साथ ही भाजपा पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आखिर गरीब लोगों पर ही क्यों टीके के परीक्षण किए जा रहे हैं और फिर परीक्षण के बाद उन पर कोई निगरानी नहीं रखी जा रही? तो फिर परीक्षण क्यों किया गया? उन्होंने कहा कि मैं निंदा करता हूं चिकित्सा शिक्षा मंत्री की, जिन्होंने इस मामले को उठाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रचना को टुकड़े-टुकड़े गैंग का सदस्य बताया।
स्व. दीपक मरावी के छोटे बेटे पवन के दिल मे छेद है जिसका वे व्यक्तिगत रूप से इलाज करवाएंगे। उन्होंने कहा कि वे पीढ़ित परिवार के साथ खड़े हैं और उनकी हरसंभव मदद करेंगे।
गौरतलब है कि दीपक मरावी की मौत के अगले दिन 22 दिसंबर को उनके शव का पोस्टमार्टम कराया गया था, जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट में शव में जहर मिलने की पुष्टि हुई हैं। हालांकि मौत कोवैक्सीन का टीका लगवाने से हुई या किसी अन्य कारण से, इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद होगी। फ़िलहाल दीपक के शव का विसरा पुलिस को सौंप दिया गया हैं। पुलिस विसरे का कैमिकल एनालिसिस कराएगी। पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी हैं।