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केंद्र सरकार की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, MP के स्कूल पिछड़े, 21 हज़ार से ज़्यादा स्कूल सिर्फ 1-1 शिक्षक के भरोसे

भोपाल : हालही में आई स्कूलों से जुड़ी केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि मध्य प्रदेश में 21077 स्कूल सिर्फ एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं और अध्यापकों के सबसे अधिक पद प्रदेश में खाली हैं।
जिसको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है।
कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा की – मध्य प्रदेश में 21077 स्कूल सिर्फ एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं और अध्यापकों के सबसे अधिक पद प्रदेश में खाली हैं। आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार किस तरह बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है और पद खाली होने के बावजूद योग्य बेरोजगारों को नौकरी नहीं दे रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल स्तर पर बच्चों को कंप्यूटर एजुकेशन उपलब्ध कराने में मध्यप्रदेश देश में सबसे पीछे है। प्रदेश के सिर्फ 3 फीसदी स्कूल ही ऐसे हैं, जिनमें बच्चों के लिए कंप्यूटर डिवाइस हैं।
रिपोर्ट मुताबिक प्रदेश में 22% स्कूल ऐसे थे जिनमें शिक्षकों के 54% पद खाली हैं। इन पदों की संख्या 87630 पद है। इस मामले में मप्र की स्थिति यूपी और बिहार के बाद नीचे से तीसरे पायदान पर है।
इतना ही नहीं प्रदेश के जिन 16 जिलों में पांचवी कक्षा का एक भी विदयार्थी ए प्लस कैटेगरी में नहीं आया है उनमें सर्वाधिक जिले प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल के हैं।
बता दे कि देश और प्रदेश की सरकार में इतने प्रतिनिधित्व के बाद भी ग्वालियर चंबल के स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति की पोल इस रिपोर्ट ने खोल दी है।

केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार में ग्वालियर-चंबल इलाके का दबदबा जगजाहिर है। इलाके के दिग्गज नेता देश और प्रदेश की सरकार में तो दबदबा बनाए हैं लेकिन इन दिग्गजों की सियासी ताकत के बाद भी नौनिहालों की शिक्षा के साथ सबसे बड़ा खिलवाड इसी अंचल में हो रहा है। हाल ही आई केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट ने इसे साबित भी कर दिया है।

इन जिलों में ग्वालियर, दतिया, श्योपुर, भिंड, मुरैना, अशोकनगर और शिवपुरी शामिल है।

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