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भोपाल, शहडोल: बिमारू सिस्टम ने 2 और मासूमों को निगला, कुम्भकर्णी नीद में सोए प्रदेश के मुखिया शिवराज ?

भोपाल, शहडोल: बिमारू सिस्टम ने 2 और मासूमों को निगला, कुम्भकर्णी नीद में सोए प्रदेश के मुखिया शिवराज ?

हर सांस कीमती है बावजूद इसके प्रदेश भाषण और आश्वासन में टंगा है ??
भोपाल, शहडोल/राजकमल पांडे।
प्रदेश क्या देश में हर सांस कीमती है कही दम न निकल जाए इसके लिए भाषणों में खडा प्रदेश अब सरकारों के ही दम निकाल रहा है. जहां एक ओर यह प्रदेष मुखिया और स्वास्थ्य मत्री कहते हैं कि दोषी बकसे नही जायेंगे तब निगाहें दौडाना लाजिमी है कि आखिर दोषी है कौन, काफी तलाश के बाद मालूम हुआ कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था संभालने बैठे सरकारों के कारिन्दे ही सबसे बडे दोषी हैं ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य मंत्री एक आध का सस्पेन्ड कर भी देते हैं तो प्रदेश का बिमारू सिस्टम सुधरता क्यों नही ? एक बार पुनः बीती रात 2 और मासूमों की मौत ने प्रदेश के स्वास्थ्य व्यवस्था का सवालों के कटघरों में खडा कर दिया है. इलाज के के बाद स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज होने वाली एक बच्ची की मौत हो गई. अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक जिला अस्पताल में पीआइसीयू से बच्ची अगले दिन सुबह डिस्चार्ज होने वाली थी. लेकिन आधी रात को ही बच्ची के सांस नली में दूध फंस गया और बच्ची ने दम तोड दिया.
कहीं संसाधनों की कमी से दम निकल रहे हैं, तो कहीं इलाज के अभाव में मासूम अपनी जान गवा रहे हैं. तो कहीं इस बिमारू सिस्टम में डाॅक्टरों की कमी से दम निकल गया. बात जो भी है पर प्रदेश के मुखिया और स्वास्थ्य मंत्री मासूम सांसों की कद्र करना नही जानते है इनके भाषण और आश्वासन की जमीनी हकीकत देखों तो मालूम होता है कि जितने इनके भाषण ऊपर से ठोस दिखते हैं उतना ही अंदर से कमजोर व खोखले हैं.
अब एक और मामला आया जहां किसन बैगा नामक व्यक्ति ने अपने तीन माह की बच्ची की मौत के बाद शव भी बाइक से ले गया. और सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि उस तीन माह की मासूम की मौत भी डाॅक्टरों की लापरवाही से ही हुआ है. और लापरवाही का आलम इस चरम में था कि किसन बैगा ने अपनी तीन माह की मासूम बच्ची का शव अस्पताल से गाडी ने मिलने से बाइक पर ही लेगा. अस्पताल प्रबंधन की ओर पीडित परिवार को एंबुलेंस व अन्य वाहन तक उपलब्ध न करे सके.

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