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भोपाल : न ऑक्सीजन, न वेंटिलेटर, थम गई जिंदगी…आखिरी सफर भी लोडिंग वाहन और ऑटो में करने पर मजबूर

मध्यप्रदेश/भोपाल – मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना से हालात दिन ब दिन ख़राब होते जा रहे हैं। जहां एक तरफ अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ मरने वालों के परिजनों को शव वाहन तक नहीं मिल रहे हैं। लोडिंग और ऑटो में आखिरी सफर तय करना पड़ रहा हैं। 

हालात यह हैं कि नगर निगम के पास 14 शव वाहन हैं। इनमें से भी 4 वाहन किराए के हैं। नगर निगम के शव वाहन के ड्राइवर फैजल अली बताते हैं कि पहले 8 घंटे ड्यूटी करते थे, दिनभर में दो या तीन शव ले जाना होते थे। लेकिन अब सुबह 8 बजे से रात 8 और कई बार रात 10 बजे तक ड्यूटी कर रहे हैं। एक दिन में 15 -16 शव को कब्रिस्तान या श्मशान घाट पहुंचा रहे हैं। 

 

 

बता दे कि गुरुवार को भोपाल के जेपी अस्पताल में एक ऐसा ही दृश्य देखने को मिला जहां परिजनों को लोडिंग वाहन में शव को ले जाना पड़ा। 

दरअसल, गुरुवार की सुबह जेपी अस्पताल में 55 वर्षीय गुड्‌डी बाई का निधन हो गया। निधन के बाद परिवार वाले दो घंटे तक शव वाहन का इंतजार करते रहे। अंत में थक हारकर उन्होंने एक परिचित के लोडिंग वाहन संचालक को बुलाया। इसी में शव रखकर वे रायसेन रोड पर कोलुआ तक ले गए। इसके अलावा बरखेड़ा पठानी में रहने वाले विशाल बकवाल ने बुधवार को अपनी दादी सुंदरबाई (80) को जेपी अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां उन्हें ऑक्सीजन और वेंटिलेटर न मिलने पर दुःखद निधन हो गया। काफी इंतजार के बाद जब उन्हें शव वाहन नहीं मिला तो वे एक ऑटो में उनके शव को रखकर ले गए।

बता दे कि शहर में एक दिन में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा 100 पार हो गया हैं। सामान्य बीमारियों से भी कुछ मरीजों की मौत हो रही हैं। हालात यह हैं कि नॉन कोविड पेशेंट्स को जीते जी एंबुलेंस नहीं मिल रही हैं। तो वहीं मरने के बाद विश्रामघाट और कब्रिस्तान ले जाने के लिए शव वाहनों की कमी भी बनी हुई हैं। 

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