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अतिथि विद्वानों को है विश्वास, मामा शिवराज करेंगे पूरी आस !

अतिथि विद्वानों को है विश्वास, मामा शिवराज करेंगे पूरी आस !

 भोपाल गरिमा श्रीवास्तव:-मध्यप्रदेश में फॉलन आउट अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण अभी तक नहीं हो सका. एक तरफ जहां अतिथि विद्वानों के पास एमफिल पीएचडी नेट की डिग्रियां है, इसके बावजूद भी कमलनाथ सरकार की शोषणकारी नीतियों ने इन्हें फॉलन आउट कर बाहर का रास्ता दिखा दिया था. जब 23 मार्च को मध्य प्रदेश में सरकार बदली तब अतिथि विद्वानों के जहन में आशा की किरण जगी, क्योंकि शिवराज सिंह चौहान ने उनसे वादा किया था कि उनकी सरकार आते ही सभी अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण कराया जाएगा. पर बता दे कि अभी तक अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण नहीं हो सका. उच्च शिक्षा मध्य प्रदेश मे नवीन योग्य अभ्यर्थियों को अतिथि विद्वान के रूप में सेवा देने का अवसर अभी तक इन अतिथि विद्वानों को नहीं मिल सका जबकि इन्हें 6 महीने पहले फॉलन आउट कर दिया गया था. यह नेट सेट पीएचडी की डिग्री हासिल किए बेरोजगार बैठे हैं. विभाग द्वारा केवल और केवल उन्हीं अतिथि विद्वानों को विगत 4 वर्षों से निरंतर रखा जा रहा है जिसमें से अधिकतर यूजीसी की अहर्ताओं को पूर्ण करने में असमर्थ है और उच्च शिक्षा विभाग फरवरी 2020 में कुल 558 फॉलन आउट अतिथि विद्वानों को चॉइस फिलिंग कराकर उन्हें पुनः महाविद्यालय सेवा में लाया गया जबकि इन्हीं सेवारत 558 अतिथि विद्वानों में से 237 से विद्वान है जो मातृ एवं स्नातकोत्तर है और ना ही यह अतिथि विद्वान यूजीसी के अहर्ताओं को पूर्ण करते हैं. 
 अतिथि विद्वानों की प्रमुख मांगे:
 नवीन बेरोजगार योग्यता धारियों को चॉइस फिलिंग प्रक्रिया में सम्मिलित किया जाए
 उच्च शिक्षा में उच्च कोटि के अतिथि विद्वानों की भर्ती की जाए. 
 जो अभ्यर्थी यूजीसी की आस्थाओं को प्राप्त कर चुके हैं उनकी जल्द से जल्द नियुक्ति की जाए.

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