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इंदौर:- मां की वेदना चीत्कार कर रही, बेटे को खोया और शव भी देखने को नसीब नहीं

इंदौर:- मां की वेदना चीत्कार कर रही, बेटे को खोया और शव भी देखने को नसीब नहीं

इंदौर:- मध्यप्रदेश में कोरोना भयावह होता जा रहा है. लोग तेजी से मर रहे हैं. मरने वालों के आंकड़े भी छुपाये जा रहे हैं. प्रदेश के इंदौर और भोपाल में हालात काफी चिंताजनक है. सबसे ज्यादा 6281 एक्टिव मरीज इंदौर और 4687 एक्टिव मरीज भोपाल में है.

 इंदौर की जमीनी हालात देखेंगे तो रूह कांप उठेगी. जो कोरोना मरीज मर जा रहा है परिजनों को डेड बॉडी दिखाने और देने में अस्पताल वाले काफी परेशान कर रहे हैं.

इस मां की वेदना सुनिए जो अपने कलेजे का टुकड़ा खो चुकी है, और उसे आखिरी पल देखने के लिए जाने कितने मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

यहां देखें वीडियो:-

https://twitter.com/GarimaLokniti/status/1380422979008405506?s=19

 मां की वेदना चीत्कार कर रही है पर कोई इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा. बेटे की मां ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने लावारिस लाश को फेंक रखा है. मां ने बताया कि लाश के लिए काफी देर तक परेशान होना पड़ा. जब व्यवस्थाएं इस तरह से है तो सरकार हमसे टैक्स क्यों वसूलती है..? मां की आंखों में सवाल है और जवाब को न पाने की उम्मीद थी साफ दिखाई दे रही है.

मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है.गुरुवार को केवल भोपाल में ही 41 कोरोना मरीजों का अंतिम संस्कार हुआ। बता दे कि प्रदेश में एक दिन में किसी एक शहर में कोविड मरीजों के शवों के अंतिम संस्कार का सबसे बड़ा आंकड़ा हैं। वहीं, दूसरी तरफ अगर सरकारी आकड़ो पर अगर नज़र डालें तो भोपाल में गुरुवार को 2 मौतें दिखाई गई हैं। जबकि पूरे प्रदेश में 27 मौतें बताई गई हैं। जिसके बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

गुरुवार को भदभदा विश्राम घाट पर 36 शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे। इसमें कोरोना संक्रमित 31 शवों का प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया। 13 शव भोपाल के और 18 बाहर के थे। 36 शवों के बाद भी विश्रामघाट में 8 परिवार शव लाने के लिए फोन कर रहे थे, जिन्हें रात हो जाने के कारण अगले दिन आने को समझाया गया। वहीं सुभाष नगर विश्राम घाट में 5 का दाह संस्कार हुआ और झदा कब्रिस्तान में भी 5 संक्रमित शवों को दफनाया गया है।

इस तरह से कोरोना अपना खतरनाक रूप ले चुका है. वहीं भोपाल के हमीदिया अस्पताल की बड़ी लापरवाही भी सामने आई. अस्पताल प्रबंधन ने शीला बाई और नफीसा बी के शव को फेरबदल क़र दिया. शीला बाई के परिजन ने नफीसा बी के शव को शीला बाई समझकर अंतिम संस्कार कर दिया. नफीसा बी का बेटा अब्दुल मंसूरी पहुंचा तो उसने शव का चेहरा देखा तो पहचानने से इंकार कर दिया,शव पर जो पर्ची लगी थी वह नफीसा बी की थी लेकिन वह सब शीला बाई का था. नफीसा को शीला बाई समझकर अंतिम संस्कार करने वाले नारायण ने अब्दुल से माफी मांगी, जिस पर अब्दुल ने भी हाथ जोड़ लिए, और लाचार होकर कहा की बताइए अब हम क्या करें…?

अब्दुल का कहना है कि वह इस मामले में कोहेफिजा थाने में शिकायत दर्ज कराएंगे.

 अस्पताल प्रबंधन की आये दिन बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. जाने आने वाले समय में प्रदेश मैं और कितनी दुर्दशा देखने को मिलेंगी .

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