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बिहार में 8 वीं बार नीतीश की सरकार….

नीतीश कुमार ने 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बन चुके हैं।हिंदी में ईश्वर के नाम से मुख्यमंत्री ने शपथ ली। नीतीश भारत के पहले मुख्यमंत्री हैं,जो आठवीं बार मुख्यमंत्री की शपथ ले रहे हैं।

Post by: Nidhi Rawatiya

तेजस्वी यादव बने बिहार के नए डिप्टी सीएम

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद तेजस्वी यादव ने डिप्टी CM के तौर पर शपथ ली। शपथ लेते ही तेजस्वी ने मंच पर ही नीतीश कुमार के पैर छूकर आशीर्वाद लिए। इस मौके पर मां राबड़ी देवी भी राजभवन पहुंचीं। लेकिन खराब सावस्थ होने के कारण पिता लालू यादव समारोह में शामिल नहीं हो पाए। शपथ से पहले नीतीश ने लालू से फोन पर बात करके उन्हें सियासी हालात की जानकारी दी।

लालू का खराब स्वास्थ, फिर भी हौसला बेमिसाल

अध्यक्ष लालू यादव हमेशा से ही अपने पुत्र तेजस्वी को गाईड करते आ रहें हैं। बेटे तेजस्वी राजनीति की बिसात पर लगातार शह-मात का खेल खेलते रहे और दिल्ली में सांसद बेटी मीसा भारती के आवास पर दिन भर टीवी से जुड़े रहे। वहीं प्रेमचंद्र गुप्ता लालू से मिलने पहुंचे और दोनों ने बिहार की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की।

नीतीश के 7 दिन की सरकार से 7 सालों की सरकार तक का सफर…

1998 में नीतीश कुमार और शरद यादव ने हाथ मिला लिया। इसके बाद जनता दल (यूनाइटेड) बनी। फिर नीतीश ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के मंत्रिमंडल में बेहद ही काबिल मंत्री के तौर पर अपनी छाप छोड़ी। इस तरह नीतीश पहली बार साल 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। नीतीश की यह सरकार महज सात दिन ही चल पाई,क्यों कि नीतीश कुमार जंता का विश्वाबस नहीं जीत पाए। इसके चलते नीतीश कुमार को इस्तीफा देना पड़ा।

पांच साल बाद मिला नीतीश को दूसरा मौका

नीतीश कुमार को पांच साल के बाद दोबारा से बिहार की सत्ता में अपने पैर जमाने का मौका मिला है। 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश के सामने मुख्यमंत्री बनने का मौका था, लेकिन तत्का लीन राज्यापाल बूटा सिंह की अनुशंसा पर बिहार में राष्ट्रापति शासन लगा दिया गया। इसी साल छह महीने के अंतराल पर दोबारा चुनाव हुआ। इसके बाद नीतीश दोबारा मुख्यमंत्री के रूप में सामने आए।

2005 में बनी बीजेपी-जेडीयू की सरकार

2005 में बिहार में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन की सरकार बनी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। पांच साल सत्ता में रहते हुए नीतीश कुमार ने नए सामाजिक समीकरण बनाते हुए पिछड़े वर्ग में अति पिछड़ा और दलित में महादिलत के कोटे की व्यवस्था की। इसके साथ ही उन्होंने स्कूली बच्चियों के लिए मुफ्त साइकिल और यूनिफॉर्म दिलाने जैसे कदम उठाए और 2010 के चुनाव में अगुवाई में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन ने एकतरफा जीत दर्ज की।

मोदी के आते ही नीतीश ने तोड़ लिए BJP से रिश्ते

2010 में नीतीश कुमार तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन ‘अटल-आडवाणी युग’ खत्म हो चुका था, और नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति के क्षितिज पर आते ही नीतीश ने 2013 में भाजपा से सालों पुराना रिश्ता तोड़ लिया।इसके साथ ही 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू को बड़ी हार का सामना करना पड़ा और बीजेपी ने बिहार से बड़ी जीत हासिल की। नीतीश ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया गया।

इसके बाद करीब एक साल के भीतर ही जीतनराम मांझी का बागी रुख देख नीतीश कुमार ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सत्ता की कमान संभाली। 2015 के चुनाव में वह आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़े और इस महागठबंधन को बड़ी जीत हासिल हुई। आरजेडी ने जेडीयू की सीट कम होने के बाद भी मुख्यमंत्री का पद नीतीशकुमार को सौंपा और पांचवी बार मुख्यमंत्री बने।

नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार में उप मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद साल 2017 में मुख्यमंत्री पद से से इस्तीफा दे दिया ।हालांकि, कुछ देर के भीतर ही बीजेपी के समर्थन से एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए. नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक चुनौती के तौर पर देखने वाले लोगों ने नीतीश कुमार के इस कदम विपक्षी गठबंधन की एकता को तगड़ा झटका लगा था।
नीतीश ने बीजेपी के साथ बाकी बचे ढाई साल का कार्यकाल पूरा किया और फिर 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी व जेडीयू मिलकर चुनाव लड़ी। इस चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी रही।इसके बाद भी बीजेपी ने उन्हें ही मुख्यमंत्री का पद दिया। 2022 में इतिहास फिर से दोहराया गया और अब नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़कर आरजेडी और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाई और नीतीश कुमार ने आठवीं बार बिहार के मुख्यरमंत्री के तौर पर शपथ ली है। बिहार की सत्ता एक बार फिर नीतीश के हाथों में आ चुकी है।

 

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