सेना द्वारा महिलाओं के स्थाई कमीशन की प्रक्रिया से सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा मूल्यांकन की प्रक्रिया फिर से तय हो
सेना द्वारा महिलाओं के स्थाई कमीशन की प्रक्रिया से सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा मूल्यांकन की प्रक्रिया फिर से तय हो
नई दिल्ली/राज राजेश्वरी शर्मा: महिलाओं और पुरषों के औधों में धीरे-धीरे समानता आ रही है, महिलाओं और पुरषों के लिए कोई भी पद अब छोटा या बड़ा नही रह गया. धीरे-धीरे हर क्षेत्र में महिलाएं अव्वल आ रही है फिर चाहे वह देश के लिए लड़ना या प्राण न्योछावर करना ही क्यों ना हो. इन सब के बाद भी अगर सेना में महिला पुरुष में भेद-भाव हों, पुरुषों को 14 साल की सर्विस के बाद स्थाई कमीशन मिले और महिलाओं को 14 साल की सर्विस के बाद रिटायरमेंट मिले तो यह महिलाओं के साथ सरासर ना-इंसाफी है.
सुप्रीम कोर्ट ने परमानेंट कमीशन के लिए महिला अफसरों के लिए बनाए गए मेडिकल फिटनेस मापदंडों को मनमाना और तर्कहीन बताया। भारतीय सेना और नौसेना में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि सेना एक महीने के अंदर महिला अधिकारियों के लिए स्थाई कमीशन देने पर विचार करे और उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए इन्हें स्थाई कमीशन दे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे समाज का ताना-बाना पुरुषों द्वारा पुरुषों के लिए ही बनाया गया है। अगर समय रहते इसे बदला नहीं गया, तो महिलाओं को पुरुषों के बराबर मौके नहीं मिल पाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 250 की सीलिंग को 2010 तक पार नहीं किया गया। जिन आंकड़ों को रिकॉर्ड पर रखा गया है, वो केस के बेंचमार्किंग को पूरी तरह से ध्वस्त करते हैं। कोर्ट ने कहा कि सेना के अपनाए गए मानकों की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है।
सेना में किसी का करियर कई ट्रायल के बाद शुरू होता है। यह तब और मुश्किल हो जाता है जब समाज महिलाओं पर चाइल्ड केयर और घरेलू काम की जिम्मेदारी डालता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सेना में कई महिला अधिकारियों को फिटनेस, अन्य योग्यताओं और शर्तों को पूरा करने के बावजूद स्थाई कमीशन नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर्विस का गोपनीय रिकॉर्ड मेंटेन करने की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी हो। इसके मूल्यांकन की प्रक्रिया नए सिरे से तय की जाए, ताकि किसी अधिकारी के साथ भेदभाव नहीं हो।
आपको बता दें की सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले आर्मी में 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) में सेवा दे चुके पुरुषों को ही स्थाई कमीशन का विकल्प मिल रहा था, लेकिन महिलाओं को यह हक नहीं था। दूसरी ओर वायुसेना और नौसेना में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन पहले से मिल रहा है।
शॉर्ट सर्विस कमीशन में महिलाएं 14 साल तक सर्विस के बाद रिटायर हो जाती हैं। अब वे स्थाई कमीशन के लिए अप्लाई कर सकेंगी। सेलेक्ट होने वाली महिला अफसर आगे भी सर्विस जारी रख सकेंगी और रैंक के हिसाब से रिटायर होंगी।
आर्मी में महिलाओं को अब बराबरी का हक मिलेगा। महिलाओं को सेना की सभी 10 स्ट्रीम- आर्मी एयर डिफेंस, सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर, आर्मी सर्विस कॉर्प, इंटेलीजेंस, जज, एडवोकेट जनरल और एजुकेशनल कॉर्प में परमानेंट कमीशन मिल पाएगा।