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अतिथि विद्वान ने सिंधिया के नाम लिखा "खुला खत", कहा "महाराज" ने किया हमारा इस्तेमाल

अतिथि विद्वान ने सिंधिया के नाम लिखा “खुला खत”, कहा “महाराज” ने किया हमारा इस्तेमाल

द लोकनीति डेस्क:गरिमा श्रीवास्तव 
मध्यप्रदेश में अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण को लेकर लगातार महीनों तक शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन जारी रहा. कमलनाथ सरकार की शोषणकारी नीतियों की वजह से अतिथि विद्वानों को सेवा से बाहर कर दिया गया.. इस दौरान विपक्ष में रही भाजपा ने अतिथि विद्वानों के धरना स्थल पर जाकर उनसे बड़े-बड़े वादे किए और कहा कि सत्ता में उनकी सरकार वापस आते ही सबसे पहला काम अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण होगा.. 
 मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए और सत्ता पलट गई.. शिवराज सिंह चौहान ने फिर से अपनी सरकार बनाई. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़े-बड़े दावे किए थे उन्होंने कहा था कि अगर अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण नहीं होता है तो वह उनके साथ सड़कों पर उतरेंगे. पर उनके सारे के सारे वादे धरे के धरे रह गए.. 

 अतिथि विद्वान लगातार लगभग 1 साल से मांग कर रहे हैं कि उनका जल्द से जल्द नियमितीकरण कराया जाए पर अभी तक उन्हें सेवा में बहाल नहीं किया गया है जिसके बाद अब अतिथि विद्वान राज्यसभा सांसद और भाजपा के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम खुला खत लिखा है.. 

 खत :-

आदरणीय महोदय जी, सादर नमस्‍कार, ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया जी ने इस वक्‍तव्‍य के साथ कांग्रेस को छोड़ा कि यदि अतिथिशिक्षकों को नियमित नहीं किया गया तो मैं उनकी ढाल और तलवार बनूगां और उनके हित मे उनके साथ सड़को पर उतर जाऊँगा (वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें) लेकिन सरकार बनने के 9 माह बाद भी प्रदेश के अतिथिशिक्षकों के लिए सिंधिया जी ने कुछ नहीं किया यहां तक कि अब वो इस मुद्दे पर बात तक नहीं करते. 

मप्र के कई अतिथिशिक्षक भयावह आर्थिक परेशानी व बेरोजगारी के चलते काल के गाल मे समा गए है अतिथिशिक्षकों को लाकडाउन का वेतन तक मप्र सरकार ने नहीं दिया है प्राथमिक, माध्‍यमिक शालाओं के अतिथिशिक्षक बेरोजगार बैठे है परंतु अब तक इस मुद्दे पर सिंधिया चुप हैं। इससे तो यही प्रतीत होता है की ज्‍योतिरादित्‍य जी ने अपने राजनैतिक लाभ और अपनी जनहितैषी छवि बनाने के लिए अतिथिशिक्षकों का इस्‍तेमाल किया था और अब जब वे सत्‍ता के शीर्ष पर है तो इस मुद्दे पर चुप्‍पी साधे हैं। 

वही अतिथिशिक्षकों के आंदोलन मे विपक्ष के रूप मे जाने वाले भाजपा के बड़े चेहरे भी सत्‍ता की चॉसनी पाते ही वर्षों तक 100 रू के अल्‍पमानदेय पर सेवा देने वाले व अनिश्‍चित भविष्‍य मे जी रहे अतिथिशिक्षकों को भूल चुके हैं। यदि भाजपा चाहती तो पीईबी परीक्षा पास डीएड, बीएड अतिथिशिक्षकों को उनकी 5-10 वर्ष की सेवा के आधार पर नियमित कर सकती थी क्‍योंकि इनके पूर्व घोषित राजपत्र मे शिक्षकों के लाखों पद रिक्‍त दिखाये गये थे।  
सादर धन्‍यवाद
आशीष बिलथरिया 
उदयपुरा जिला रायसेन म.प्र

 अब देखना यह होगा कि अतिथि विद्वान के इस खुले ख़त के बाद क्या सरकार इनकी तरफ अपना नरम रुख अपनाती है या नहीं…??

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