खरगोन : चप्पे चप्पे पर तैनात है पुलिस के जवान, फिर भी चरम पर है रेत उत्खनन

- लॉकडाउन मे रेत उत्खनन चरम पर, प्रसाशन कि नजरअंदाजी
- पिछ्ले 2 माह से प्रतिदिन 15 से 20 रेत के अवेध ट्रैक्टर निकल रहे है
- प्रसाशन को नजर नही आ रहे हैं या फिर कुछ झोलम झोल है?
- गावों के रास्ते से बेखौफ़ अपने अंजाम तक पहुँचाई जा रही है रैत
खरगोन/बड़वाह/पिपल्या से लोकेश कोचले की रिपोर्ट – कोरोना वायरस के चलते जहाँ पुरे देश मे भय का माहौल व्याप्त है, वही रेत माफिया बेखौफ़ होकर रैत का अवेध कारोबार कर रहे हैं। हैरानी कि बात यह है कि पिछ्ले 2 माह से रेत का अवेध कारोबार लगातार चल रहा है, लेकिन प्रसाशन के कानो मे अभी तक जू तक नही रेंगी। जिस तरह देश मे लॉकडाउन है, हर शहर, नाके, चौराहो पर पुलिस के जवान मिलना स्वभाविक है, इसके बावजूद रेत माफिया निडर होकर अपना कार्य करने मे सफल हो रहा है और किसी भी पुलिस के जवान कि नजर उन तक नही पहुच रही, यह महज इत्तेफ़ाक़ तो नही हो सकता हैं।
पिटामली, गंगातखेड़ी, सेमरला, मुराल्ला से रैत भरकर आ रहे ट्रैक्टर्स
नर्मदा किनारे बसे ये गाव रेत उत्खनन के लिये प्रख्यात हैं। यहां से रेेेतत भरकर लाने वाले वाहनो को बाहर निकलने के लिये रतनपुरा फाटा, सिरलाय फाटा, पिपलया, आदि जगहों से गुजरना पड़ता है, वर्तमान मे लॉक डाउन के चलते इन सारे फाटो पर पुलिस जवानो कि मौजूदगी हैं। इसके बावजूद यहां से रेत के वाहन आसानी से निकल जाते हैं। अब यह रेेत का अवेध व्यापार कैसे पैर पसार रहा है ये रेत माफिया व प्रसाशन दोनो बहुत अच्छे तरह से जानते हैं।