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Bhopal : जेल प्रशासन का अमानवीय चेहरा, पैदल घर तक जाने को मजबूर हुए कैदी

भोपाल डेस्क (गौतम कुमार) : कोरोना वायरस के संक्रमण को मद्देनजर रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जारी किया था कि पांच साल से कम सजा अवधि वाले कैदियों को 45 दिन के पैरोल पर छोड़ दिया जाए ताकि जेल में भी कैदियों के बीच दूरी बना रह सके. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार द्वारा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और जेल प्रशासन को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया गया.

प्रदेश की जेलों में करीब 12 हजार कैदी हैं, जो 5 साल तक की सजा वाले हैं. विभिन्न चरणों में ऐसे कैदियों को जेल से रिहा किया जा रहा है. रविवार को भोपाल सेंट्रल जेल से भी कुछ कैदियों को रिहा किया गया. पैरोल पर छोड़े गए इन कैदियों को जेल प्रशासन ने होशंगबाद जिले की सीमा पर ले जाकर छोड़ दिया. जिसके बाद सभी कैदियों को आगे की यात्रा पैदल ही तय करनी पड़ी. इनमें कुछ कैदियों को पिपरिया तक जाना था. चूंकि लॉकडाउन के कारण सभी यातायात सेवाएं बंद हैं, ऐसे में इन सबों को पिपरिया तक का सफ़र पांव पैदल ही तय करना पड़ा.

बता दें कि इस प्रकरण के सामने आने के बाद से जेल प्रशासन पर काफी सवाल उठ रहे हैं. लोग इस घटना को अमानवीय भी कह बता रहे हैं, जब इतने प्रशासन की भोपाल जिले के अंतिम सीमा तक इन्हें छोड़ने जा सकती थी तो इस मुश्किल हालात में मानवता के आधार पर कुछ और अधिम दूर तक इन्हें छोड़ देने में क्या समस्या थी. जिससे इसके घर तक की दूरी पैदल तय करना आसान हो जाता.

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