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क्या 24 हफ्तों बाद महिलाएं करवा सकेंगी गर्भपात ?क्या होगा सरकार का फैसला ?

क्या 24 हफ्तों बाद महिलाएं करवा सकेंगी गर्भपात ?क्या होगा सरकार का फैसला ?

बॉम्बे हाईकोर्ट से इस प्रस्ताव की लहर उठी थी जिसे अब सरकार मंजूरी देने वाली है जी है अब महिलाएं गर्भधारण के 24 हफ़्तों तक गर्भपात करवा सकेंगी. फिलहाल समयसीमा 20 हफ्तों तक है यानी पांच महीने बाद गर्भपात नहीं करवाया जा सकता.  किसी विशेष परिस्थिति के लिए कोर्ट की इजाज़त लेनी पड़ती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इससे जुड़े प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई.  'मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (अमेंडमेंट) बिल, 2020' आगामी बजट सत्र में पेश किया जाएगा.

क्या कहा सूचना और प्रसारण मंत्री ने

सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बैठक के बाद बताया कि गर्भपात की अवधि बढ़ाने की मांग महिलाओं की ओर से की जा रही थी. इसके अलावा डॉक्टर भी इसकी सिफारिश कर रहे थे और न्यायालय ने भी इस संबंध में आग्रह किया था. जावड़ेकर ने कहा कि माना जाता है कि असुरक्षित गर्भपात के कारण आठ प्रतिशत महिलाओं की मृत्यु होती है.  उन्होंने कहा, “कई बार बलात्कार पीड़िताओं और बीमार महिलाओं या नाबालिग लड़कियों को गर्भधारण करने का पता नहीं चलता था और वो असुरक्षित ढंग से गर्भपात करा लेती थीं. कुछ मामलों में उनकी मौत भी हो जाती थी.” पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक ये समय सीमा विशेष तरह की महिलाओं के लिए बढ़ाई गई है, जिन्हें एमटीपी नियमों में संशोधन के ज़रिए परिभाषित किया जाएगा और इनमें दुष्कर्म पीड़ित, सगे-संबंधियों के साथ यौन संपर्क की पीड़ित और अन्य असुरक्षित महिलाएं (विकलांग महिलाएं, नाबालिग) भी शामिल होंगी.  

कैसे की गई इस बात की मांग

  • इस मामले की शुरुआत बॉम्बे हाईकोर्ट से हुई थी, जब तीन महिलाओं ने याचिका दायर कर 20 हफ्तों के बाद भी गर्भपात कराने की अनुमति देने की मांग की थी.
  • इन महिलाओं का मामला सुनने और डॉक्टर की राय जानने के बाद कोर्ट ने उन्हें गर्भपात की अनुमति दे दी थी.
  • न्यायाधीश एएस ओका और एमएस सोनक की डिविजन बेंच ने आदेश दिया था कि एक पंजीकृत चिकित्सक बिना हाई कोर्ट की इजाज़त के 20 हफ्तों से ज़्यादा के गर्भधारण में गर्भपात कर सकता है, अगर उसकी राय में उस समय गर्भपात करना महिला की जान बचाने के लिए तत्काल ज़रूरी है.
  • इसके बाद मद्रास हाई कोर्ट ने एक न्यूज़ रिपोर्ट के आधार के पर स्वत: संज्ञान लेते हुए भारत सरकार से मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेंग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट, 1971 में संशोधन करने के लिए कहा था.
  • कोर्ट ने भारत सरकार से पूछा था कि गर्भपात की समयसीमा को 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ़्ते करने के लिए संशोधन करने में कितना समय लगेगा. इसपर भारत सरकार को जून तक जवाब देने के लिए कहा गया था.
  • मद्रास हाइकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि हर साल करीब दो करोड़ 70 लाख बच्चे जन्म लेते हैं, जिनमें से 17 लाख बच्चे जन्मजात विसंगतियों के साथ पैदा होते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में मामले देर से सामने आने पर 20 हफ्तों में गर्भपात करना संभव नहीं होता.

 

 

 

 

 

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