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बैतूल की महिलाएं 21 साल से सरहद के जवानों को बांधती है राखियाँ। 

बैतूल:- मध्यप्रदेश के बैतूल की ये महिलाएं देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर तैनात भारतीय सेना के जवान जो सरहद छोड़ अपने घर नहीं जा पाते है वह जवान  हर साल रक्षाबंधन पर अपनी खास बहनों और उनकी राखियों का बेसब्री से इंतजार करते हैं.उनकी ये खास बहनें बैतूल राष्ट्र रक्षा समिति की वो सैकड़ों सदस्य हैं जो लगातार 21 साल से देश की सीमाओं पर तैनात जवानों को दुर्गम इलाकों में जाकर राखी बांध रही हैं.हर बार की तरहा इस बार भी भारत चीन सीमा पर 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लद्दाख में ये बहनें रक्षाबंधन का पर्व मना रही हैं.साथ ही देश की सीमाओं पर 21 जगह इन बहनों ने 22 हजार राखियां खुद बनाकर भेजी हैं जो एक रिकॉर्ड है। 

बीते 21 वर्षों में समूचे देश की सीमाओं पर 21 जगह हजारों सैनिकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने वाली ये बेहद खास बहने हैं जो बैतूल के राष्ट्र रक्षा मिशन की सदस्य है.इनके अनूठे प्रयास से हर साल उन हजारों सैनिकों की कलाई पर राखी बंध जाती है जो अपने घर अपनी बहनों से हजारों मील दूर देश की हिफाजत में तैनात रहते है.इनमे खास बात है कि सैनिक भाइयों के लिए ये बहनें महीनों पहले से मेहनत करके अपने हाथों से रेशम की राखियां तैयार करती हैं.और सैनिकों के लिए भेजी गई हर राखी के साथ इन बहनों का अटूट प्रेम और भावनाएं जुड़ी होती हैं.इनमें कई बहनें ऐसी भी हैं जिनके भाई नहीं है.या किसी कारणवश वो अब इस दुनिया में नहीं हैं.समिति की सैंकड़ों सदस्य जितनी सम्भव हो उतनी राखियां बनाकर भेजती हैं। 

वहीँ इस बार भी राष्ट्र रक्षा मिशन का 17 सदस्यीय दल दुनिया के सबसे खतरनाक और दुर्गम इलाकों में शुमार भारत चीन सीमा पर लद्दाख में सैनिक भाइयों के साथ रक्षाबंधन का पर्व मनाएगा.साल 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण ये बहनें सीमा पर राखी बांधने नहीं जा पाई थीं लेकिन उन्होंने हर सीमा पर हजारों राखियां पोस्ट के जरिये भेजी थीं. इस बार भी 21 हजार से ज्यादा राखियां देश की 21 सीमाओं पर पहुंचाई जा चुकी हैं.

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