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 सिहोरा : प्राइवेट स्कूलों की मनमानी वसूल रहे मनमानी ट्यूशन फीस, कोर्ट के आदेश का पालन नहीं

 सिहोरा : प्राइवेट स्कूलों की मनमानी वसूल रहे मनमानी ट्यूशन फीस, कोर्ट के आदेश का पालन नहीं

  •  कोरोना काल से जमकर लूट रहे अभिवावकों का खून पसीने का पैसा 
  • स्कूल फीस को लेकर एमपी हाईकोर्ट में सुनवाई में कहा सिर्फ “ट्यूशन फीस” ही वसूलेंगे
  • ऑनलाइन क्लास तो है बहाना ,कोरोना काल में जमकर फ़ीस बढ़ाकर है लेना 
  • अभिवावकों से जमकर लूट रहें पैसा लेकिन जिन शिक्षक की बदौलत चला रहे स्कूल उन्हें ही नहीं दे रहे पूरी सैलरी 

द लोकनीति डेस्क सिहोरा
मध्यप्रदेश सरकार ने कोरोना को देखते हुए विद्यालयों को पूरी तरह खोलने के निर्देश अभी तक नहीं दिए हैं लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर प्रशासन एवं सरकार ने गाइडलाइन जारी की है जिसे माननीय कोर्ट ने भी मान्यता दे रखी है लेकिन प्राइवेट स्कूल वाले विद्यार्थियों की ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर अभिभावकों से मोटी मोटी रकम ट्यूशन फीस के नाम पर वसूल कर रहे हैं सिहोरा नगर के पुराने इंग्लिश मीडियम स्कूल मिष्पा मिशन का ऐसा ही एक मामला सामने आया है हालांकि इस तरह के मामले प्राइवेट स्कूलों के शोषण से जुड़े हुए अनेकों सामने आ चुके हैं जिसमें विद्यालय प्रबंधन द्वारा ट्यूशन फीस के नाम पर मोटी रकम अभिभावकों से वसूली जा रही है मिस्पा मिशन स्कूल में अध्ययनरत कक्षा तीन और यूकेजी के विद्यार्थी के परिजन से 11 माह की फीस मांगी जा रही है नहीं देने पर उन्हें परीक्षा से वंचित रखने के भी प्रयास किए जा रहे हैं विद्यार्थियों के अभिभावक सियोल साहू ने बताया कि जब बच्चे के परीक्षा से संबंधित कार्य हेतु मिष्पा मिशन स्कूल पहुंचे तो वहां उनसे सीधा 10 माह की फीस मांगी गई जिसका उन्होंने हल निकालने को प्रशासन विद्यालय प्रबंधन से बात की लेकिन विद्यालय प्रबंधन किसी तरह के समझौते से इंकार कर रहा है और विद्यार्थियों को छमाही परीक्षा से वंचित रखा जा रहा है वहीं विद्यालय प्रबंधक ने कहा कि जो अभिभावक फीस देने में अक्षम हैं उन्हें 3 माह की फीस जमा कर विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठाने के निर्देश हैं।

 

सब कुछ खुला लेकिन लूट का तरीका नया
 सरकार द्वारा सभी व्यापार को लेकर गाइडलाइन्स तो दे दिए लेकिन सबसे बड़ा शिक्षा का व्यापार करने वाले निजी स्कूल और टैक्स चोरी में माहिर प्राइवेट स्कूलों को प्रदेश की जनता और बच्चों के अभिवावकों  को खुलकर लूटने का लाइसेंस दे दिया है तभी तो स्कूलों को बंद रखा गया है। उसके वाबजूद ऑनलाइन क्लास का हवाला देते हुए ये प्राइवेट स्कुल ख़ासकर अंग्रेजी माध्यम स्कूलों ने तो अभिवावकों के खून पसीने का पैसा वसूलने में महारथ हासिल कर ली है। जबलपुर हाईकोर्ट का साफ़ आदेश है कि बच्चों के अभिवावकों से केवल “ट्यूशन फीस”  ही वसूला जाए उसके वाबजूद मनमानी फ़ीस वसूली जा रही है। इस और न प्रशासन ध्यान दे रहा है न जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनधि। अब जनता परेशान है उसे लग रहा है जैसे शिवराज सरकार को चुनावी चंदा देने वाले स्कूल एकदम हमें लूटने में तुले हुए है। 

अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के अंग्रेजो वालें फ़रमान, बच्चों के ऑनलाइन क्लास के बहाने लूट रहे तीन गुना लगान 
हर अभिवावक अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए अच्छे से अच्छी सुविधा देना चाहता है और वे अपनों बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना चाहते है। अच्छे भविष्य की चिंता हर माँ बाप को होती है यही वजह है नाम न लिखने की शर्त में उन्होंने बताया कि 5वी क्लास तक के बच्चो की 5 हजार की किश्तों में 3 बार पैसा लिया जाना है ,हम बेहद परेशान है। कुछ अभिवावकों ने बताया कि हमारा बच्चा 11वी में पढ़ता है उसकी 35 -40  हजार फ़ीस देनी है क्या हम अपने बच्चों को कॉलेज में पढ़ा रहे है। 

सिहोरा में दर्जन भर स्कूल ऐसे है जो ऑनलाइन क्लास के नाम पर यूट्यूब लिंक देकर अभिवावकों से वसूल रहे मोटी रक़म 
एकतरफ़ कोरोना ने आम जनता को आर्थिक और मानसिक रूप से तोड़ दिया है वही दूसरी तरफ़ अभिवावक इसलिए परेशान है कि स्कूलों से अंग्रेजी फ़रमान आ रहा है कि यदि आपके बच्चे को एग्जाम में बैठना है तो ऑनलाइन क्लास लेना जरूरी है और उसके लिए फीस देना अनिवार्य है यदि आप फीस नहीं देंगे तो हम आपके बच्चे का भविष्य बर्बाद कर देंगे। 

जिम्मेदारों को नहीं है सुध ,न ही प्रशासन और न सरकार दे रही ध्यान
निजी स्कूलों द्वारा बच्चों के परिजनों से ट्यूशन फीस के नाम पर वसूली जा रही मनमानी राशि को लेकर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी पूरी तरह बेसुध बने हुए स्थिति यह है कि शासन और प्रशासन इस और कोई ध्यान नहीं दे रही है हालत यह है कि कई बच्चों के परिजन मोबाइल खरीदने तक की स्थिति में नहीं है लेकिन मजबूरी में ऑनलाइन क्लासेस के निजी स्कूलों द्वारा बनाए जा रहे दबाव के चलते उन्हें 10 से 12000 रूपये का एंड्राइड मोबाइल खरीदना पड़ रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों को इस बात का भी पता नहीं है कि निजी स्कूल कितनी ट्यूशन फीस वसूल रहे हैं।

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