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बैतूल:- रेत माफिया चरम पर, प्रशासन के आदेशों की उड़ा रहे धज्जियां 

बैतूल:- रेत माफिया चरम पर, प्रशासन के आदेशों की उड़ा रहे धज्जियां 

बैतूल/अनिल कजोड़े:- वर्षा काल के दौरान नदियों से रेत खनन पर शासन द्वारा प्रतिबंध लगाया जाता है। लेकिन बावजूद इसके रेत खनन माफिया शासन के इन आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए मशीनों से रेत निकालकर उसका अवैध परिवहन कर रहे हैं । जिले में रेत खनन के मामले में शाहपुर क्षेत्र खासा बदनाम रहा है, जहां से हमेशा ही  रेत के अवैध खनन की खबरें सामने आती रहती हैं। जनप्रतिनिधियों और स्थानीय ग्रामीणों के आपत्ति दर्ज कराने के बावजूद भी जिले का खनिज विभाग माफियाओं की मनमानी पर अंकुश लगाने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है । जिससे ऐसा लगता है कि खनन माफियाओं के साथ खनिज विभाग की भी मिलीभगत हो सकती है। यहां से रेत निकाल कर महाराष्ट्र में महंगे दामों पर रेत बेचने का धंधा पिछले कुछ समय से अधिक फलता फूलता नजर आ रहा है।  खनन माफिया के खिलाफ कार्यवाही किए जाने को लेकर स्थानीय विधायक भी अपनी आपत्ति दर्ज करा चुके हैं लेकिन फिर भी हालात जस के तस बने हुए हैं। 

भंडारण के नाम पर चलता है खनन का खेल

वर्षा काल में रेत खनन पर रोक लगने के चलते कई रेत खदानों के ठेकेदार भंडारण की अनुमति पहले से प्राप्त कर लेते हैं।  फिर इसकी आड़ में खनन का काम किया जाता है, शाहपुर क्षेत्र में अधिकृत रेत ठेकेदार तथा अवैध रूप से रेत का खनन करने वाले माफिया आपस में गठजोड़ करते हुए टेमरू में किसी स्थान पर भारी मात्रा में रेत निकाल कर भंडारण कर रहे हैं । फिर यंहा से रेत महाराष्ट्र में डंफरो के माध्यम से महंगे दामो में बेची जा रही है। यहां के आसपास की नदियों से जेसीबी व अन्य मशीनों की सहायता से रेत का खनन दिनदहाड़े किया जा रहा है। जिसे रोकने की जहमत उठाने के लिए स्थानीय प्रशासन कोई भी कदम नहीं उठा रहा है । जिसके कारण खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद है कि वह खनन की शिकायत करने वाले ग्रामीणों को धमकाने से भी नहीं चूकते हैं। जिसका नतीजा यह निकलता है कि स्थानीय ग्रामीण अब खनन की शिकायत करने से बचने लगे हैं।

भारी वाहनों ने कर दी सड़के बर्बाद

खनन माफिया द्वारा शाहपुर क्षेत्र के कोटमी व टेमरु के आसपास रेत का अवैध भंडारण कर रखा है।  खनन माफिया द्वारा वन क्षेत्रों से भी अवैध खनन का कार्य किया जा रहा है, जिन्हें डंफरो के माध्यम से महाराष्ट्र में बेचा जाता है । भारी मात्रा में रेत भरी होने से वाहनों के आवागमन से क्षेत्र की सड़कें पूरी तरह बर्बाद होने की कगार पर पहुंच चुकी है । गौरतलब है कि शासन द्वारा लाखों करोड़ों रुपए खर्च करते हुए ग्रामीणों को सुगम आवागमन की सुविधा प्रदान करने के लिए दूरस्थ क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण करता है । लेकिन खनन माफिया के भारी वाहन शासन की मंशा पर पूरी तरह पानी फेर  रहा है।  भारी वाहनों की आवाजाही से खराब होती सड़कों की शिकायत क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा कई बार संबंधित अधिकारियों को की है। बावजूद इसके यहां से रेत के भारी वाहनों की आवाजाही पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लग पाया है।

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