शराबबंदी कहीं से भी घाटे का सौदा नहीं, किंतु इसके नशे में बलात्कार, हत्याएं जैसी घटनाएं देश के लिए कलंक है – उमा भारती
भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – मध्यप्रदेश में सरकार शराब की दुकानें बढ़ाने की तैयारी कर रही है, इसके पीछे तर्क दिया गया है कि राजस्थान में एक लाख की आबादी पर 17, महाराष्ट्र में 21 और उत्तर प्रदेश में 12 दुकानें हैं, जबकि मध्यप्रदेश में यह संख्या सिर्फ चार हैं। इसलिए प्रदेश में शराब की दुकानें बढ़ानी चाहिए। वहीं, सरकार भी इस पर विचार कर रही हैं।
विपक्ष लगातार इस मुद्दे को लेकर शिवराज सरकार के घेराव में जुटी हुई हैं। हालही में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसको लेकर शिवराज सरकार पर जमकर निशाना साधा था। वहीं, इन सबके बीच पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा की फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती का भी बड़ा बयान सामने आया हैं। उमा भारती ने एक नई मांग रखी हैं। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से अपील की है कि उन्हें बीजेपी शासित राज्यों में पूर्ण शराबबंदी करनी चाहिए। उमा भारती ने इस सिलसिले में कई ट्वीट भी किए हैं।
उमा भारती ने ट्वीट करते हुए लिखा की – मध्यप्रदेश में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के बारे में सरकार ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया हैं। सीएम शिवराज जी का यह वक्तव्य अभिनंदनीय है। कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय पर लगभग शराबबंदी की स्थिति रही इससे यह तथ्य स्पष्ट हो गया है कि अन्य कारणों एवं कोरोना से लोगों की मृत्यु हुई किंतु शराब नहीं पीने से कोई नहीं मरा।
उन्होंने लिखा की – अभी हाल में उ0प्र0 एवं म0प्र0 में शराब पीने से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई सड़क दुर्घटनाओं के अधिकतर कारण तो ड्राइवर का शराब पीना ही होता है यह बड़े आश्चर्य की बात है कि शराब मृत्यु का दूत है फिर भी थोड़े से राजस्व का लालच एवं शराब माफिया का दबाव शराबबंदी नहीं होने देता है। अगर देखा जाए तो सरकारी व्यवस्था ही लोगों को शराब पिलाने का प्रबंध करती है जैसे मां जिसकी जिम्मेदारी अपने बालक को पोषण करते हुए रक्षा करने की होती है वही मां अगर बच्चे को जहर पिला दे तो, सरकारी तंत्र के द्वारा शराब की दुकाने खोलना ऐसे ही है।
उमा भारती ने आगे लिखा की – मैं तो अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा जी से इस ट्वीट के माध्यम से सार्वजनिक अपील करती हूं कि जहां भी भाजपा की सरकारें हैं उन राज्यों में पूर्ण शराबबंदी की तैयारी करिए। राजनीतिक दलों को चुनाव जीतने का दबाव रहता है बिहार की भाजपा की जीत यह साबित करती है कि शराबबंदी के कारण ही महिलाओं ने एकतरफा वोट नीतीश कुमार जी को दिये।
उन्होंने आगे लिखा की – शराबबंदी कहीं से भी घाटे का सौदा नहीं है शराब बंदी से राजस्व को हुई क्षति को कहीं से भी पूरा किया जा सकता है किंतु शराब के नशे में बलात्कार, हत्याएं, दुर्घटनाएं छोटी बालिकाओं के साथ दुष्कर्म जैसी घटनाएं भयावह हैं तथा देश एवं समाज के लिए कलंक है। कानून व्यवस्था को मेंटेन करने के लिए हजारों करोड़ रूपये खर्च होते हैं समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए शराबबंदी एक महत्वपूर्ण कदम है इस पर एक डिबेट शुरू की जा सकती है।
बता दे की आबकारी अधिकारियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष दुकानें बढ़ाने के लिए यह तर्क दिया गया हैं। मालूम हो कि जहरीली शराबकांड के बाद मंगलवार को कलेक्टर-कमिश्नर और आईजी-एसपी के साथ मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की। उसमें अफसरों ने ये तर्क दिए।