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निर्भया केस: आरोपी की पुनर्विचार याचिका की सुनवाई से अलग हुए जस्टिस बोबडे

निर्भया केस: आरोपी की पुनर्विचार याचिका की सुनवाई से अलग हुए जस्टिस बोबडे

नई दिल्ली:-चीफ जस्टिस एसए बोबडे निर्भया केस में दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका की सुनवाई से अलग हो गए है। सीजेआई ने कहा कि उनके एक रिश्तेदार ने निर्भया की मां की तरफ से पैरवी की थी, इसलिए यह उचित होगा कि दूसरी बेंच पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करे। सीजेआई ने कहा कि हम एक नई बेंच का गठन करेंगे, जो बुधवार को सुबह 10:30 बजे सुनवाई करेगी। अक्षय ने पुनर्विचार याचिका में दिल्ली के प्रदूषण का हवाला देते हुए मौत की सजा पर सवाल उठाए थे। उसने कहा था कि जब प्रदूषण की वजह से वैसे ही दिल्ली में लोगों की उम्र घट रही है तो ऐसे में मौत की सजा क्यों दी जाए?

अक्षय नें फांसी से बचने के लिए अजीब दलीलें दी थी ।

अक्षय ने मौत की सजा से बचने के लिए याचिका में दिल्ली के गैस चेंबर होने सतयुग कलयुग महात्मा गांधी अहिंसा के सिद्धांत और दुनिया भर के शोधों का जिक्र किया था अक्षय ने कहा कि जब दिल्ली में प्रदूषण की वजह से वैसे ही लोगों की उम्र घट रही है तब हमें फांसी क्यों दी जा रही है? 

विनय ने दया याचिका वापस लेने की मांग की। 
दिसंबर 2012 में हुए निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में अक्षय मुकेश पवन और विनय को मौत की सजा सुनाई थी और एक अन्य दोषी राम सिंह ने कथित तौर पर तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी वही मुकेश पवन और विनय ने पिछले साल फैसले पर पुनर्विचार याचिका लगाई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। दोषी विनय ने राष्ट्रपति के पास भेजी दया याचिका वापस लेने की मांग की है उसने कहा था कि दया याचिका पर मेरे हस्ताक्षर नहीं है।

हम आपको यह भी बता दे कि तिहाड़ जेल में शॉर्ट नोटिस पर जल्लाद मुहैया कराने को कहा।

दिल्ली की तिहाड़ जेल में उत्तर प्रदेश से दो जल्लाद मुहैया करवाने के लिए कहा है उत्तर प्रदेश के एडीजी आनंद कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि हमें 9 दिसंबर सोमवार को फैक्स के माध्यम से तिहाड़ जेल से पत्र मिला है जिसमें यूपी के दो जल्लादों की सेवाएं मांगी गई है क्योंकि उनके(तिहाड़ जेल)जल्लाद नहीं है। पत्र में दोषियों को फांसी दिए जाने का कोई जिक्र नहीं किया गया है लेकिन कहा गया है कि इसकी जरूरत पड़ सकती है।
 

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