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सावधान ! कहीं आपका बच्चा भी तो किसी जगदीश के निगरानी में नहीं ?

 

  • पहली कक्षा के बच्चे को इसलिए मार दिया जाता है क्यूंकि वह अँधेरे से डरता है
  • बाथरूम में लाइट न होने के कारण बाहर से ही बाथरूम करने लगता है।

Bhopal News Gautam :- एक पहली कक्षा के बच्चे को इसलिए मार दिया जाता है क्यूंकि वह अँधेरे से डरता है और बाथरूम में लाइट न होने के कारण बाहर से ही बाथरूम करने लगता है। गुरूवार को एक खबर आयी थी कि पटेल नगर ई-सेक्टर स्थित शासकीय अनुसूचित जनजाति बालक माध्यमिक आश्रम शाला में एक पहली कक्षा के बच्चे की गला दबाकर हत्या कर दी गई है। पुलिस इस मामले की तबसे ही जांच कर रही थी और पुलिस ने जल्द ही आरोपी को भी पकड़ लिया है। छात्र सूरज खरते का कत्ल उसी विद्यालय के चौकीदार जगदीश कलावत ने ही किया था।

क्या थी वजह
आखिर ऐसी क्या बड़ी वजह वजह थी कि एक पहली कक्षा के बच्चे को इतने अमानवीय तरीके से मौत के घात उतार दिया गया क्या वह शैतान था ? अपराधी था ? सबको परेशान करता था ? जी नहीं वह बस अँधेरे से डरता था। बुधवार शाम करीब पौने आठ बजे सूरज पहली मंजिल से पेशाब करने ग्राउंड फ्लोर पर आया था। उस बाथरूम में बल्ब न होने के कारण वह अंधेरे से डर गया, इसलिए बाथरूम के बाहर से ही पेशाब करने लगा। हमने बचपन में ऐसा कई बार किया होगा। तभी दूसरे कमरों में ताला लगा रहे जगदीश की नजर सूरज पर पड़ गई।  गुस्से में उसने टूटी हुई बेंच की रॉड से सूरज के सिर पर पीछे की तरफ मार दिया।    
एएसपी संजय साहू के अनुसार रॉड लगते ही सूरज जमीन पर गिरकर बेहोश हो गया। इससे घबराकर जगदीश ने गला दबाकर उसे मार डाला। काफी देर तक जब सूरज अपने कमरे में नहीं लौटा तो बड़ा भाई दीपक उसे देखने नीचे उतरा। इसके बाद सूरज के साथ हुई घटना सामने आई। पूछताछ में चौकीदार ने पुलिस को बताया कि उसे डर था कि होश में आने के बाद सूरज यह बात सभी को बता देता। जुर्म कबूल करने के बाद पुलिस ने गुना निवासी 40 वर्षीय जगदीश को गिरफ्तार कर लिया है। उसे शनिवार को अदालत में पेश किया जाएगा।

आपके बच्चे भी तो किसी जगदीश के निगरानी में नहीं
क्यों हम सिर्फ किताबी ज्ञान को ही सब कुछ मानकर बैठे हैं। क्या आप खुद इतने सक्षम नहीं कि अपने बच्चो को अपने पास रखकर शुरूआती शिक्षा दिलवा सकें। इस मामले में सबसे बड़ा दोषी विद्यालय प्रशासन को मानता हुं। आज ऐसा पहली बार तो कतई नहीं होगा कि जगदीश ने किसी बच्चे को रॉड या किसी और हथियार से पीटा हो तो क्या विद्यालय की यह ज़िम्मेदारी नहीं थी कि उसको वहां से निकाला जाए। क्यों उसे हैवान के हवाले इन नौनिहालों को छोड़ दिया गया ? अब सिर्फ प्रश्न ही उठाये जा सकते हैं क्यूंकि शिक्षा में हम जीरो हैं स्वास्थय में हम जीरो हैं और सरकारें जाने अपनी कौनसे मद में डूबी है। अगर सूरज के पढाई की अच्छी व्यवस्था उसके गाँव उसके अपने इलाके में होती तो वह क्यों किसी हॉस्टल में रहने जाता। इसकी हत्या का ज़िम्मेदार सिर्फ जगदीश नहीं है बल्कि आप , हम और ये निक्कमी सरकारें भी है। 

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