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जबलपुर : पूर्व मंत्री अजय विश्नोई की बात को CM ने किया "अनसुना"! पड़ा भारी, ऑक्सीजन के कारण 5 मौत, डॉक्टर-नर्स भागे

मध्यप्रदेश/जबलपुर – मध्यप्रदेश के जबलपुर में भी कोरोना ने अपना कहर बरपा रखा हैं। यहां भी लगातार कोरोना संक्रमित मरीज़ो की संख्या में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा हैं। इतना ही नहीं यहां ऑक्सीजन और बेड न होने के कारण लगातार मरीज़ो की मौत भी हो रहीं हैं। बता दे कि गुरुवार को यहां ऑक्सीजन न मिलने के कारण 5 मरीज़ों की मौत हो गई।

गुरुवार तड़के आगा चौक स्थित लाइफ मेडिसिटी हार्ट सेंटर में ऑक्सीजन समाप्त होने से 82 वर्षीय वृद्धा ने दम तोड़ दिया। जबकि, सुखसागर मेडिकल कॉलेज में 4 भी मरीजों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि लाइफ मेडिसिटी अस्पताल में कोरोना के 104 मरीज भर्ती हैं। इसमें 60 ऑक्सीजन सपोर्ट पर और 44 वेंटिलेटर पर हैं। ऑक्सीजन समाप्त होने और एक महिला की मौत के बाद अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक व नर्स अस्पताल छोड़कर भाग खड़े हुए।

वहीं, चरगवां रोड स्थित सुखसागर मेडिकल कॉलेज में भी रात से ही ऑक्सीजन समाप्त हाे गया। वहां 200 से अधिक मरीज भर्ती हैं। यहां भी 100 से अधिक मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर और 40 वेंटीलेटर पर हैं। रात में ऑक्सीजन समाप्त होने के बाद से सुबह तक चार लोगों की मौत हो गई। यहां भी परिजन हंगामा करते रहे। मौके पर बरगी पुलिस को हालात संभालना पड़ा।

बता दे की जबलपुर में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। बुधवार को रिछाई स्थित एक लिक्विड प्लांट में आई खराबी से दो अस्पतालों में लाइफ सपोर्ट पर भर्ती 84 मरीजों की जान पर बन आई। 

इधर, अस्पताल के प्रबंधक डॉक्टर मुकेश श्रीवास्तव ने बताया कि रोज 250 सिलेंडर लगते हैं। बुधवार को ऑक्सीजन प्लांट में खराबी आने की वजह से सिलेंडर नहीं मिल पाया। दोनों ही प्लांटों में खाली सिलेंडर लेकर हमारा स्टाफ खड़ा हैं। ऑक्सीजन ही नहीं मिल पा रहा हैं । हम क्या करें। अब तो प्रशासन ही कोई इंतजाम करा सकता हैं। बिना ऑक्सीजन के मरीजों का इलाज चुनौती हैं। 

मालूम हो कि क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक में सत्ता पक्ष के विधायक अजय विश्नोई ने हालात बताने की कोशिश की तो उसे भी अनसुना कर दिया गया। बुधवार को उन्होंने सीएम को सोशल मीडिया पर और पत्र लिखकर ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर आवाज उठाई थी। सीएम ने कोरोना के हालात को समझने के लिए सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया को भेजा था। वे भी यहां के प्रशासन के आंकड़ों में ही उलझ कर रह गए।

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