क्या विरोध और कटाक्ष से ही कोरोना का इलाज संभव है!
क्या आपको पता है ,दिवाली के अगले दिन पूरे बिहार -झारखंड में सुबह सवेरे एक आवाज़ सुनाई देती है। जहां घर की एक लड़की हाथों में थाली लिए कहती सुनाई देती है कि ,'दलिदर दलिदर बहरो रे ,लखी लक्ष्मी ढुक' यानि कि “दरिद्र तुम मेरे घर से बाहर निकलो और सुख समृद्धि मेरे घर आंगन में बसो” ,वैसे भी आज का हाई क्लास अल्ट्राकूल नौजवान जिसे हर उस चीज में लॉजिक चाहिए जिसे आप या फिर सरकार कर रही है. जो यकीनन सही भी है। सरकार पर सवाल उठाना उठना लाजमी भी है आखिर हमने सरकार को अपनी रक्षा और बढ़ोतरी के लिए चुना है। सरकार की तैयारियों पर अनगिनत सवाल उठाए जा सकते हैं सवालों की लंबी फेहरिस्त है जिसे पूछा जाना चाहिए मगर क्या सरकार ने अभी तक कुछ भी नहीं किया ? यह सवाल भी तो खुद से पूछिए जिन आर्टिकल को आप पढ़कर सरकार को कोस रहे हैं उसी के बीच उसी बीच आप WHO के भारतीय आयुक्त की रिपोर्ट भी पढ़िए, जिसमें वह भारत सरकार की कोरोना से लड़ने को लेकर उठाए गए कदम की प्रशंसा कर रहे हैं। फिर भी कुछ लोग अपनी राजनैतिक ज्ञान को दिखाने बताने के लिए यह तक कह देंगे कि हो सके की भारत सरकार ने उन्हें किसी वस्तु का लोभ लालच दिया हो। हो सकता है और होना में अंतर काफी है।
'आई डोंट लाइक इट'
नफरत, गुस्सा या फिर नापसंद की बातों को नहीं मानने के लिए मनुष्य का दिमाग उसे ,उनके सही गुणों की तरफ दिखाता ही नहीं है।फर्ज कीजिए जिसे लौकी नहीं पसंद है वह तपाक से बोल उठेगा 'आई डोंट लाइक इट' बजाय इसके की लौकी पेट और त्वचा के लिए कितना फयदेमंद है। हाँ लौकी खाना नहीं खाना उसके पसंद की बात हो सकती है ,मगर इससे लौकी के लाभकारी गुण खत्म नहीं हो जाते।
क्या हमें ताली और थाली नहीं बजाना चाहिए था ! पता नहीं हमें क्या हो गया है ,विरोध में हम हर बातों में नुस्ख निकालने लगे हैं।भारत में दूसरे मुल्को के बजाय कोरोना का असर बहुत कम थोड़ा है और इसे और भी कम किया जा सकता है खुद को लोगों से अलग करके। मगर इससे सरकार को कुछ नहीं करने की छूट नहीं मिल जाती है। इटली ,अमेरिका, चीन, फ्रांस,और ब्रिटेन जैसे मुल्कों में हर 16 मिनट अथवा 2 घंटों में एक शख्स कोरोना के कारण अपना दम तोड़ रहा है। इटली ,अमेरिका ,और फ्रांस ने क्या तैयारियां की ?भारत से कई मायनों में आगे अमेरिका ,फिर भी वह अपने मुल्क में हो रहे मौतों को नहीं बचा पा रहा है। अमेरिका भी अपने देशवासियों को अपने घरों में रहने की हिदायत दे रहा है। पर ऐसा कह देने से यह साफ नहीं हो जाता कि सरकार सिर्फ लोगों से आह्वान करें बल्कि खुद भी इस बीमारी से निपटने का कोई ठोस कदम उठाए। वैसे विरोध पार्टी सोच और निर्णय का हो सकता है ,देश का नहीं और थाली आप किसी मोदी के लिए नहीं बल्कि रियल हीरोज के लिए बजा रहे थे। उन लोगो क्वी लिए जो दिन रत आपकी हमारी मद्दद के लिए बहार खड़े हैं। सवाल उठना या उठाना लाजमी है मगर किस बिसात पर ये भी हमे ही तय करना है।