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MP के 25 जिलों में खाद की भारी किल्लत, महंगे दामों में खाद खरीदने पर मजबूर किसान, बुवाई के बचे 20 दिन 

भोपाल/खाईद जौहर : मध्यप्रदेश में किसानों की दिक्कतें थमने का नाम नहीं ले रहीं है, किसानों के सामने अब खाद की किल्लत विकराल हो गई है। प्रदेश में डीएपी खाद की किल्लत विकराल होने की वजह से किसान काफी परेशान है। मिली जानकारी के अनुसार सभी 3400 सहकारी संस्थाओं में इस समय खाद नहीं है। जिन 25 जिलों में अगले 20 दिन में रबी सीजन की फसलों गेहूं, चना, मसूर, सरसों की बुवाई होना है, वहां की सहकारी संस्थाएं भी खाली पड़ी हैं। 

वहीं, रबी की सभी फसलों की बुवाई में ज्यादा डीएपी खाद लगती है, लेकिन केंद्र से सिर्फ 5 रैक ही (13 हजार मीट्रिक टन) मिल रही है, जबकि जरूरत एक लाख मीट्रिक टन की है। डीएपी की कमी होने पर वैकल्पिक एनपीके खाद का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इस खाद की भी सप्लाई 26 हजार मीट्रिक टन होनेे की संभावना है।

बता दे कि भोपाल, रायसेन, सीहोर, शिवपुरी, श्योपुर, अशोकनगर, गुना, राजगढ़,जबलपुर, मंडला, डिंडोरी, दमोह, नरसिंहपुर, ग्वालियर, दतिया, भिंड और मुरैना, होशंगाबाद, सागर, दमोह, विदिशा, रीवा, सीधी, सतना, देवास, शाजापुर, इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, नीमच जैसे जिलों में किसानों को तुरंत खाद चाहिए, लेकिन यहां  खाद की काफी किल्लत देखी जा रहीं हैं। 

खास बात ये है कि डीएपी की 1200 रु. की बोरी 1450 और एनपीके की बोरी 1700 रु. में बिक रही है। मजबूरन किसानों को महंगे दामों में खाद खरीदना पड़ रही है। इसकी बड़ी वजह रबी सीजन की बुवाई का समय 15 नवंबर तक ही रहता है। बताया जा रहा है कि इस महीने के बकाया 5 दिनों में केंद्र से 12 रैक यूरिया, 5 रैक डीएपी और 10 रैक एनपीके खाद के मिलना है, जबकि इस दरम्यान खाद के 50 रैक की जरूरत है। 

इधर, इस पुरे मामले पर रिटायर्ड एग्रीकल्चर डायरेक्टर जीएस कौशल का कहना है कि सरकार की कोई प्लानिंग नहीं है जब पहले से पता था कि डीएपी खाद की कमी होने वाली है तो पहले से भंडारण किया जा सकता था। वहीं, जब उनसे सवाल किया गया वितरण व्यवस्था में खामी है? इस पर उन्होंने कहा कि अनुमान ही सही नहीं तो वितरण व्यवस्था में तो खामी होगी ही।

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