सभी खबरें

Film Review:- अमिताभ बच्चन ने तोड़ दिए अपने करियर के सारे रिकॉर्ड, "द लोकनीति" के संपादक ने की रात 12:00 बजे रिलीज हुई फिल्म "गुलाबो-सिताबो" की समीक्षा

फ़िल्म गुलाबो-सिताबो आज रात  12 बजे रिलीज हुई, 12 बजे ही देखना शुरू किया रात को ही समीक्षा लिख ली गई थी जिसे आपके साथ साझा कर रहा हूं।

“लालच “इस विषय को भारतीय सिनेमा के गोल्डन एरा में खूब जगह मिली। 50s और 60s के बाद भी लालच से जन्में भ्रष्टाचार, अपराध और तमाम तरह की अनैतिक कृतियों को को भारतीय सिनेमा में खूब दर्शाया गया लेकिन कुछ अपवाद छोड़ कर फॉर्मेट वही होता था “नायक – नायिका और खलनायक वाला”। इसी फॉर्मेट के चलते ऐसे सिनेमा खास कर के जो 90s में बने उनके विषयों तक दर्शक का ध्यान नहीं जा पाता था और यही फॉर्मेट सिनेमा में इतना स्थाई हो गया कि इसने “ट्रैडिशनल सिनेमा” के रूप में जगह ले ली। किसी भी फ़िल्म में एक कहानी प्राथमिक होती है, हर कहानी का एक विषय होता है लेकिन जब आप उसको प्रस्तुत कर रहे होते हैं तो दर्शक का ध्यान वहीँ जायेगा जहां “एंफे़सिस” रहेगा। भारतीय सिनेमा में एक्शन, मेलो ड्रामा और रोमैंस को हमेशा से ज्यादा एंफे़सिस के साथ परोसा गया । इसलिए विषय गायब हो जाता है, सिनेमा के जरिये किसी सोशल चेंज या सोशल डिबेट की उम्मीद बेमानी हो जाती है और समाज में इन सब की जगह सिनेमा में पहना हुआ कपड़ा, हेयरस्टाइल और फैशन ले लेता है।

लेकिन अब जब सिनेमा का विकास एक डिसेंट्रलाइज्ड इंडस्ट्री के तौर पर हो रहा है तो इस बदलाव के बेहद शुरुआती दौर में ऐसी फ़िल्मों का आना सुखद है। गुलाबो – सिताबो किसी बेहद खास विषय पर बनी फिल्म नहीं है, सिनेमा में लालच या लालची बहुत कॉमन विषय है। लेकिन कहानी का प्रस्तुतीकरण इतना जबरदस्त है कि पता ही नहीं चलेगा कि आप देख रहे हैं या पढ़ रहे हैं। फ़िल्म में न कोई रो रहा है, न कोई ज्यादा हंस रहा है, न कोई ज्यादा दुखी है कुछ भी इक्स्ट्रीम नहीं है। आप को ऐसा लगेगा कि आप कोई गुदगुदाने वाली कहानी पढ़ गए और आपको पता ही नहीं चला। बीच – बीच में मुस्कुराते या हंसते हुए आपका ध्यान ड्यूरेशन के तरफ जरूर जाएगा जो इस फिल्म का पहला और आखिरी ड्रॉबैक हो सकता है। क्लाईमेक्स में लालच के परिणाम का चित्रण बहुत ही सुंदर किया गया है लेकिन वहां भी शॉट्स कुछ लंबे खींच दिए गए हैं। खैर कहानी लखनऊ के मिर्जा की है जिनकी उम्र 78 साल है उनसे 16 साल छोटी उनकी बेगम हैं, एक पुरानी हवेली है जो बेगम के नाम है, मिर्जा की नजर सालों से उसपर है, हवेली में किराएदार हैं जो सालों से रह रहे हैं। इन्हीं किराएदारों में एक हैं “बांके” जो चौथी कक्षा पास हैं, आटा चक्की चलाते हैं साथ में तीन बहनों और मां की जिम्मेदारी भी है। “मिर्जा” और “बांके” की तूतू – मैंमैं बड़ी ही मजेदार है। लखनवी अंदाज और अदब में 78 साल के बुढऊ और जवान लौंडे का अदब से लड़ना और उस लड़ाई में लखनवी बोली और लखनवी शब्दकोश का होना बहुत मजेदार है। पूरी कहानी इसी टाईप की छोटी – छोटी घटनाओं से सुसज्जित है। इसमें वकील भी है, पुरातत्वविद भी है, पूरा एक सामाज है बिल्कुल उसी तरह, जिस तरह व्यवहारिक जीवन में होता है। यह फिल्म एक साधारण लेकिन शानदार कहानी की असाधारण और ज़बर्दस्त चित्रण है।

अभिनय
मेरी लिए बहुत मुश्किल नहीं है यह कहना कि मिर्जा के भूमिका में शायद अमिताभ बच्चन ने अपने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हों और ये भी कि आयुष्मान खुराना ने एक साधारण किराएदार बांके की भूमिका में जो किया वो उनके अभी तक के करियर का माइलस्टोन साबित हो सकता है। अभिनय के दृष्टिकोण से यह फ़िल्म रेयर ऑफ रेयरस्ट है। लखनवी बोली जिसे हम एक्सेंट कहते हैं उस पर ऐसी पकड़ कि दोनों ने लखनवी होने को बोली से ही सार्थक कर दिया है। अमिताभ बच्चन ने “पा” जैसा रोल भी किया है, लेकिन ये रोल बहुत यूनीक है। 78 साल के हिलते – डुलते, लालची और खड़ूस बुढ्ढे की भूमिका में अमिताभ बच्चन का अभिनय किया हुआ नहीं जिया हुआ लगता है।

निर्देशन
शुजित सिरकार अपनी हर अगली फ़िल्म में पिछले को मात देने का प्रयास करते हैं। विकी डोनर से लेकर आज तक का ट्रैक रिकॉर्ड यही साबित करता है। लखनऊ को उस हवेली के भीतर दो तरह से स्टैबिलिश किया गया है फिजिकल भी और मेंटली भी। उसी हवेली में लखनऊ की पहचान “कम्यूनल हार्मोनी” को धीरे से फिट किया गया है। फिल्म में आप एक्स्ट्रा क्या कर गुजरते हैं ये भी एक चुनौती है जो हर अच्छा निर्देशक लेकर आगे बढ़ता है। बाकी शॉट सेलेक्शन, ऑब्जेक्ट प्लेसमेंट सब कुछ बारीकी से किया गया है। सिंपल, डीसेंट और एक्स्ट्रा- आॉर्डनरी। ड्यूरेशन एक समस्या है जिसके पीछे का कारण स्क्रीनप्ले का ज्यादा खिंच जाना हो सकता है लेकिन लोगों को ये जरूर लगेगा कि फिल्म धीरे चल रही है और इसके चलते अच्छी – खासी फिल्म को हमारे बूम – बाम पसंद दर्शक अगर छिछिया दें तो हैरानी भी नहीं होगी। बाकी आप इस फिल्म को प्राइम वीडियो पर एक्सेस कर पाएंगे।

Reviewed By :- Aditya Singh

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button