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जिस दिन सबसे ज्यादा जरूरत थी उस दिन निगम भूल गया अपनी जिम्मेदारी, परीक्षार्थियों और अस्पतालों में भर्ती परिजनों को होना पड़ा परेशान

जिस दिन सबसे ज्यादा जरूरत थी उस दिन निगम भूल गया अपनी जिम्मेदारी, परीक्षार्थियों और अस्पतालों में भर्ती परिजनों को होना पड़ा परेशान

 भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल इंदौर और जबलपुर में 21 मार्च रविवार को टोटल लॉकडाउन लगाया गया था. पूरा शहर लॉक था क्योंकि कोरोना का संक्रमण कर से रफ्तार पकड़ने लगा है.. सरकार ने लॉकडाउन तो लगा दिया पर लॉकडाउन को लेकर तैयारियां और व्यवस्थाएं अधूरी रही.

 प्रशासन ने शुक्रवार को यह बात कही थी कि मिल्क पार्लर नहीं खुलेंगे शनिवार को कहा कि रविवार सुबह 6:00 से 10:00 तक दूध के मिल्क पार्लर खोले जाएंगे. ऐसे में गफलत की स्थिति बन गई और रविवार को मिल्क पार्लर नहीं खुले और ना ही दूर करो तक पहुंचा. लोग परेशान हो गए. जिनके घर में छोटे बच्चे थे उनके लिए पड़ोसियों से दूध लेना पड़ा इधर लॉकडाउन में यात्रियों को छूट दी गई थी लेकिन ऑटो वालों की मनमानी के चलते लोगों को 5 गुना तक ज्यादा किराया देना पड़ा.. नेवी एसएसबी पीएससी और मॉडल स्कूल के एंट्रेंस एग्जाम देने आए परीक्षार्थियों को भी इसी समस्या से जूझना पड़ा. सभी होटल और रेस्टोरेंट बंद थे, जिसकी वजह से इन्हें खाने की समस्या हुई. सिर्फ इतना ही नहीं यात्रियों को जगह-जगह पुलिस की बैरीकेडिंग के कारण पैदल ही भोपाल स्टेशन तक जाना पड़ा.

 होटल रेस्टोरेंट बंद होने और खाने का कोई इंतजाम ना होने का फायदा भोपाल रेलवे स्टेशन पर कुछ रेस्टोरेंट संचालकों ने उठाया. जो खाना ₹50 का मिलता था उस पैकेट को ₹300 में बेचा.
 निगम भूल गया अपनी जिम्मेदारी :-
 होटल रेस्टोरेंट तो बंद थे और वहीं दूसरी तरफ निगम ने भी दीनदयाल रसोईया बंद कर दी. जबकि ऐसे में इन रसोइयों को खोलने की सबसे ज्यादा जरूरत थी. क्योंकि यहां पर रोजाना 3000 से ज्यादा लोग खाना खाने पहुंचते हैं जबकि वसूली के लिए निगम के वार्ड और जोन कार्यालय खुले थे, हालांकि बाद में सामाजिक संस्थाओं की अन्नपूर्णा ने लोगों की भूख मिटाई.

 शहर में कई प्रतियोगी परीक्षाएं थी इसका पूरा फायदा अटैच ऑटो चालकों ने उठाया यात्रियों को ऑटो में ठूस ठूस कर ले गए. तो वहीं परीक्षार्थियों ने यह बात भी बताई कि 5 किलोमीटर तक के ₹600 तक वसूल डालें.

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