दमोह : गणवेश निर्माण में करोड़ों का घोटाला ,एन आर एल एम अधिकारियों का करनामा

गणवेश निर्माण में करोड़ों का घोटाला
,एन आर एल एम अधिकारियों का करनामा
दमोह से शंकर दुबे की रिपोर्ट : –
शासकीय स्कूलों में बच्चों को गणवेश सप्लाई के नाम पर एन आर एल एम यानी ग्रामीण आजीविका मिशन में किस तरह की धांधली मची हुई है इसका जीता जागता प्रमाण दमोह में देखने को मिला। जहां 10 करोड़ रुपए के काम को खुद -बुर्द करने में विभागीय अधिकारी लगे हुए हैं। अधिकारियों ने स्व सहायता समूह के माध्यम से होने वाला काम एक निजी संस्थान को सौंप दिया है।
केंद्र और राज्य सरकार बेरोजगारों को स्वावलंबी बनाने के लिए कितनी ही प्रयास कर ले लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी इन योजनाओं को विफल करने से नहीं चूकते। सरकार के प्रयासों पर कालिख पोत रहे ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियों की वजह से सैकड़ों महिलाओं को मिलने वाला रोजगार उनसे छिन गया है। दरअसल लॉक डाउन का फायदा उठाते हुए ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियों ने स्व सहायता समूह के माध्यम से बनने वाली स्कूल बच्चों की गणवेश का काम दमोह में ही एक निजी संस्था को सौंप दिया है। जब इस मामले का भंडाफोड़ हुआ तो अधिकारियों ने यही कहा कि काम पूरी पारदर्शिता के साथ स्व सहायता समूह से कराया जा रहा है। जबकि जिस संस्थान को यह काम सौंपा गया उसके संचालक ने स्वीकार किया कि उन्हें हजारों गणवेश बनाने का काम मिला है। अब निजी ठेकेदार की स्वीकारोक्ति के बाद अधिकारियों के चेहरे बेनकाब हो गए हैं।
यह था मामला : –
दरअसल सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा आने वाले सत्र के लिए प्रत्येक छात्र को दो गणवेश के मान से दमोह जिले में 2 लाख 48 हज़ार 622 गणवेश वितरण होना है। इस बार लॉकडाउन के कारण प्रदेश भर के स्कूल बंद रहे हैं। नए सत्र के लिए गणवेश तैयार की जा रहीं हैं। राज्य शिक्षा केंद्र के नियमानुसार एक छात्र को ₹300 की एक गणवेश, इस तरह प्रत्येक छात्र को 2 गणवेश के लिए ₹ 600 खर्च करना है। इस हिसाब से करीब गणवेश के कपड़े का मूल्य करीब 7 करोड़ 45 लाख 86600 रुपए होता है। तथा उसमें सिलाई की राशि अलग है। अब पूरा मामला खुलने के बाद अधिकारी लीपापोती करने में लगे हुए हैं।
क्या होना था, क्या हुआ
सरकार की गाइडलाइन के अनुसार गणवेश का निर्माण रजिस्टर्ड स्व सहायता समूह की महिलाओं से कराया जाना था। लेकिन अधिकारियों ने लॉकडाउन का फायदा उठाते हुए यह काम दमोह के ही ओवर ब्रिज के पास स्थित एक उद्योग नामक संस्था को सौंप दिया। उद्योग संस्था के संचालक संजय जैन ने बताया कि उनके यहां स्कूल की गणवेश की सिलाई का काम चल रहा है। यह काम बिना किसी लिखित अनुबंध के उन्हें दिया गया है।
शहरी मिशन के हाथ खाली : –
इस पूरे मामले में महत्वपूर्ण बात यह है कि केवल उन्हीं समूहों को काम दिया जाना था जो समूह शहरी या ग्रामीण मिशन में रजिस्टर्ड है लेकिन अधिकारियों ने बहुत ही चतुराई के साथ शहरी विकास यानी नगरपालिका को मात्र 27 लाख रुपए का काम सौंपा है। जबकि करीब पौने 10 करोड़ का काम खुद ही हज़म कर गए।
मात्र शहरी काम मिला
इस संबंध में मुख्य नगर पालिका अधिकारी बीएम कतरोलिया ने बताया कि उनके पास मात्र शहरी स्कूल के बच्चों की गणवेश निर्माण का काम मिला है। जिसमें लगभग 30 समूह काम कर रहे हैं।