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दमोह : अपनी 4 सूत्रीय मांगों को लेकर 4 फरवरी से हड़ताल पर बैठे राशन वितरण कर्मचारी ,अब शासन से आर-पार की लड़ाई

 दमोह से शंकर दुबे की रिपोर्ट : –  अपनी 4 सूत्रीय मांगों को लेकर 4 फरवरी से हड़ताल पर बैठे राशन वितरण कर्मचारी अब शासन से आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं। आंदोलनरत कर्मचारियों का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वह चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करेंगे। आंदोलनरत कर्मचारियों ने आज सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर अपना विरोध दर्ज कराया।
     जिले में लगभग 480 राशन दुकाने संचालित हैं। लेकिन इस बार एक भी राशन दुकान में 4 तारीख से किसी भी हितग्राही को एक दाना भी राशन का नहीं मिला है। दरअसल अपनी 4 सूत्रीय मांगों को लेकर 4 फरवरी से ही हड़ताल पर बैठे सभी उपभोक्ता एवं सहकारी समितियों के कर्मचारी शासन द्वारा दी जा रही राशि से संतुष्ट नहीं है। कर्मचारियों का कहना है कि जब देश में सातवां वेतनमान चल रहा है उस दौर में उन्हें महज 4-5 हज़ार रुपए में अपने परिवार का पेट पालना पड़ रहा है। इतनी कम राशि में तो घर का खर्च चलाना भी मुश्किल है। उस पर बच्चों की पढ़ाई, दवाइयों का खर्च, बिजली बिल तथा अन्य चीजों के खर्चे कैसे पूरे किए जा सकते हैं? दमोह जिले में 80 उपभोक्ता भंडार एवं करीब 400 सहकारी समितियों के माध्यम से 2 लाख 63 हज़ार से अधिक कार्ड धारियों को हर महीने गेहूं, चावल, नमक, शक्कर तथा मिट्टी का तेल वितरण किया जाता है । लेकिन इस बार किसी भी दुकान में कोई वितरण नहीं किया गया। सभी जगह दुकानों पर ताले पड़े हुए हैं और हितग्राही चक्कर काट कर परेशान हैं। 
 ऐसे समझें सिस्टम को : –
उपभोक्ता भंडार से राशन वितरण करने वाले कर्मचारियों को कमीशन दिया जाता है जबकि सहकारी समिति के माध्यम से राशन वितरण करने वाले कर्मचारियों को करीब 8 हज़ार 4 सौ रुपए का मासिक वेतन दिया जाता है लेकिन उनके हाथ में अधिकतम 5 हज़ार रुपए ही पहुंच पाते हैं। उपभोक्ता कर्मचारियों को गेहूं एवं चावल पर 70 रुपए प्रति क्विंटल, नमक पर 12 पैसे प्रति किलो, शक्कर पर 18 पैसे प्रति किलो तथा केरोसिन पर 1 रुपए 5 पैसे प्रति किलो की दर से कमीशन दिया जाता है।
 क्यों कर रहे हड़ताल : –
 समझने वाली बात यह है कि आखिर ऐसे क्या हालात निर्मित हुए की जिले सहित पूरे प्रदेश भर के राशन वितरण कर्मचारी हड़ताल पर आ गए। दरअसल दिसंबर के पहले पूरा काम मैनुअल था। जिसमें रजिस्टर में एंट्री करके उपभोक्ताओं को राशन वितरित किया जाता था। सरकार की नई नीति के कारण दिसंबर महीने से थंब इंप्रेशन आईडी से राशन वितरण प्रणाली लागू हो गई। उसके बाद जितने लोग विभाग के पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं उन्हीं को बस दिया जाता है। परिवार का यदि कोई सदस्य रजिस्टर्ड नहीं है तो उसका राशन नहीं दिया जाता। इसी हिसाब से राशन दुकान में आवंटन दिया जाता है। उपभोक्ता संख्या कम होने से कोटा भी घट गया जिससे कर्मचारियों का कमीशन भी बहुत कम हो गया मजबूरन कर्मचारी हड़ताल पर आ गए। मैनुअल सिस्टम में कर्मचारी जो हेराफेरी कर लेते थे अब वह भी बंद हो गई है।
 क्या है मांगे : –
आंदोलनरत कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें स्थाई कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। इसी तरह उपभोक्ता भंडार के वितरकों को 200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से कमीशन दिया जाए। इसके अलावा आधार लिंक एवं आवंटन  प्रक्रिया को सरल बनाया जाए। सहकारी समिति संघ के सचिव राकेश रजक का कहना है कि यदि मांगे नहीं मानी गई तो वह अनिश्चित कालीन हड़ताल करेंगे तथा चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करेंगे। 
 लोग परेशान हैं : –
इस संबंध में कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी आंचल शर्मा कहती हैं कि उपभोक्ता और समिति कर्मचारियों ने अपना मांग पत्र दिया है। उस मांग पत्र को आगे भेज दिया गया है। राशन वितरण न होने से उपभोक्ता परेशान हो रही हैं। शासन का आगे जो आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा।

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