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दमोह : सूर्योदय और सूर्यास्त की तारीख लिखेगा राहुल का स्वागत

दमोह : सूर्योदय और सूर्यास्त की तारीख लिखेगा राहुल का स्वागत

  • भीड़ थी या जुटाई गई
  •  राहुल सिंह के स्वागत पर पेश है विशेष रिपोर्ट

दमोह से शंकर दुबे की रिपोर्ट।
 राजनीति के मैदान में अपनी जड़ें मजबूत कर रहे राहुल सिंह की 3 महीने बाद दमोह में धमाकेदार वापसी हुई। इस वापसी को राजनीतिक विश्लेषक नए सूर्योदय तो, किसी के लिए सूर्यास्त के तौर पर देख रहे हैं। इन्हीं नजरियों की पड़ताल करती हमारी यह विशेष रिपोर्ट….
         निवर्तमान विधायक और वेयरहाउसिंग कारपोरेशन के अध्यक्ष राहुल सिंह ने जब 24 अक्टूबर को एकाएक प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा से मुलाकात की तथा विधायक पद से इस्तीफा दिया तो उनके समर्थकों और कांग्रेस के लिए यह खबर बहुत ही निराश और हैरान कर देने वाली थी। लेकिन कुछ ही देर के अंतराल में जब राहुल ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की तो कुहासे के बादल कुछ हद तक छट गए। लोगों को लगने लगा कि अब राहुल सिंह एक नई पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं। आपको याद होगा कि उस दिन शारदीय नवरात्र की महा अष्टमी थी। इतने शुभ मुहूर्त पर राहुल का कांग्रेस छोड़ना और भाजपा का दामन थामना वाकई लोगों को हैरान कर गया, लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता ठीक उसी तर्ज पर दमोह विधायक राहुल सिंह अपने भविष्य के सपने भाजपा में तलाशने लगे। अब कारण जो भी रहे हो या जो गिनाए जा रहे हैं। लेकिन राहुल के कांग्रेस छोड़ने के साथ ही एक बार फिर से लोगों के मन में नई उम्मीदें जगने लगी। यह नई उम्मीदें थी दमोह में 35 साल तक एकछत्र राज करने वाले प्रदेश के कद्दावर नेता जयंत मलैया और उनके समर्थकों की। दरअसल राहुल के स्तीफा देने के बाद से ही यह कयास लगाए जाने लगे की पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया की अब पुनः वापसी हो सकती है ? कांग्रेस ने उस समय भी जमकर विरोध किया और अपने विरोध की अग्नि को राहुल के पुनः आगमन तक ठंडा नहीं पड़ने दिया। कांग्रेसियों ने राहुल को गद्दार, बिकाऊ, लोकतंत्र का हत्यारा और विश्वासघाती सहित न जाने कितनी उपमाएं दी।
        लेकिन इन सबसे इतर राहुल सिंह दमोह नहीं आए। वह इंतजार करते रहे भाजपा में आने के इनाम का। राहुल को वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन का अध्यक्ष तथा कैबिनेट मंत्री का दर्जा बतौर इनाम भी मिला। ठीक 85 दिन के बाद राहुल 17 जनवरी को जब दमोह पहुंचे तो स्वयं राहुल सिंह को ऐसी उम्मीद नहीं की होगी कि इतनी भीड़ जुट जाएगी या फिर प्रायोजित तरीके से जुटा ली जाएगी ? दमोह जिले की सीमा से लेकर भाजपा कार्यालय तक पहुंचने के दौरान हजारों लोगों ने राहुल सिंह का स्वागत किया। दूसरी ओर कभी जयंत मलैया के खासम खास रहे कुछ लोगों ने भी राहुल में ही अपना भविष्य तलाश लिया और स्वागत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने जयंत मलैया के प्रति अपनी निष्ठा को बरकरार रखा और वह भाजपा कार्यालय ढूकने में भी नहीं पहुंचे।
 राहुल का स्वागत समारोह एकलव्य यूनिवर्सिटी के ठीक सामने किया गया। अक्सर चहल-पहल से आबाद रहने वाली यह एकलव्य यूनिवर्सिटी 17 तारीख को सुनसान नजर आई। अब जबकि राहुल ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी चुनाव लड़ने की लालसा है और उन्हीं को टिकट मिलेगा। इससे मलैया समर्थकों में घोर निराशा देखी जा रही है। कुछ लोग यह मानकर चल रहे हैं कि अबकी चुनाव राहुल के लिए सूर्योदय, तो जयंत मलैया की राजनीतिक पारी के लिए सूर्यास्त साबित हो सकते हैं ? बेशक राहुल सिंह को टिकट मिल सकता है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जयंत मलैया उन कद्दावर नेताओं में शामिल है जो अंतिम समय तक हार नहीं मानेंगे।  मलैया इतनी आसानी से उप चुनाव का टिकट हाथ से जाने देंगे यह बात किसी को पच नहीं रही है। पूरे स्वागत समारोह में एक खास बात यह है कि की जितनी भी भीड़ थी वह ग्रामीण क्षेत्रों की थी। शहर के लोग कम या फिर वही लोग थे जो मलैया से अपनी प्रतिद्वंदिता रखते हैं। शहर का यातायात दिन भर जाम बनाए रखने वाली कई दर्जन गाड़ियां भी सागर, छतरपुर, जबलपुर, भोपाल या फिर आसपास के अन्य क्षेत्रों की थी। दरअसल राजनीतिक पंडितों की माने तो यह स्वागत समारोह था- प्रतिद्वंद्वियों के मन में पल रही उम्मीदों को ध्वस्त करने का, यह स्वागत समारोह था अपना प्रभुत्व जमाने का, यह स्वागत समारोह था जनता में यह संदेश देने का कि भले ही दल बदल लिया है लेकिन अभी जड़ें बहुत गहरी हैं और दिल में भी हम ही रहेंगे, यह स्वागत समारोह था कि सूर्यास्त हो चुका है अब नए सूर्योदय की प्रतीक्षा करो।                                                                                                                                                                                                                                           

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