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दमोह : पुलिस पर न्यायालय की तल्ख टिप्पणी ,देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड में न्यायालय ने पुलिस कार्यप्रणाली पर खड़े किए सवाल

पुलिस पर न्यायालय की तल्ख टिप्पणी
,देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड में न्यायालय ने पुलिस कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए
दमोह से शंकर दुबे की रिपोर्ट : – 
कांग्रेस के कद्दावर नेता देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड के मामले में शनिवार को माननीय न्यायालय द्वारा पुलिस पर की गई तल्ख टिप्पणी से पुलिस की कार्यप्रणाली पर जहां सवाल खड़े हो रहे हैं वही पुलिस की किरकिरी भी हो रही है। दूसरी ओर विधायक ने न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हुए उच्च न्यायालय की शरण लेने की बात कही है।
      दमोह के इतिहास में संभवत यह पहला मामला है जहां  माननीय न्यायालय द्वारा पुलिस के नीचे से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों पर तक तल्ख टिप्पणी की है। न्यायालय की टिप्पणी के बाद पुलिस विभाग की भूमिका भी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
    गौरतलब है कि कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड के मामले में सत्र न्यायालय हटा द्वारा शनिवार को आदेश पारित किया गया था। जिसमें पथरिया से बसपा विधायक रामबाई सिंह परिहार के पति गोविंद सिंह परिहार को 302 के तहत हत्या का आरोपी माना गया है। माननीय न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि विधायक के पति गोविंद सिंह परिहार पर हत्या, लूट, डकैती, हत्या के प्रयास सहित 28 जघन्य अपराध विभिन्न थानों में दर्ज हैं। ऐसे में तत्कालीन थाना प्रभारी द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति से धारा 173 (8) के तहत विवेचना जारी रखी गई तथा 31/8 /2019 को विवेचना बंद कर खात्मा खारिजी हेतु आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। जिसमें मोबाइल लोकेशन घटना स्थल पर न होना बताया गया तथा अभियुक्त की मोबाइल लोकेशन घटनास्थल से 40 किलोमीटर दूर उनके निवास हिरदेपुर दमोह बताई गई।माननीय न्यायालय ने यहां विशेष रूप से उल्लेख किया कि यह सूचना प्रौद्योगिकी का युग है । ऐसे में मोबाइल टावर की लोकेशन बदली जा सकती है। जबकि कोई व्यक्ति अपराधिक प्रवृत्ति का होकर सजायाफ्ता रहा हो अपना मोबाइल किसी को भी देकर घटना स्थल पर होने का लाभ ले सकता है। माननीय न्यायालय ने देवेंद्र चौरसिया के पुत्र सोमेश चौरसिया के शेल्बी हॉस्पिटल जबलपुर में नायब तहसीलदार मुख्य कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए मृत्यु कालिक कथन को सत्य मानते हुए कहा है कि पुलिस अधिकारियों को साक्षी के कथन को मानना चाहिए था जो कि नहीं किया। 

जेलर का जवाब भी बना आधार : –

माननीय न्यायालय ने जिला जेलर के जवाब का भी आदेश में लेख किया है। जिसमें जेलर ने कहा है कि आरोपी राजनीतिक रसूख के चलते अपनी मनमर्जी का घर का बना खाना खाते हैं तथा असीमित लोगों से मिलना जुलना एवं बीमारी का बहाना बनाकर अस्पताल में भर्ती होते हैं। 

समाज में पुलिस की छवि धूमिल हुई : –

माननीय न्यायालय ने आदेश में डीजीपी को आदेश की प्रति भेजने के साथ ही लेख किया है कि डीजीपी थाना प्रभारी से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक की जांच किसी निष्ठावान अधिकारी से कराएं तथा उन पर कार्यवाई करें। यहां विशेष रूप से लेख किया गया कि एक ओर जहां कोविड-19 में पुलिस कर्मियों के अच्छे कार्य के लिए समाज में उन्हें सम्मानित किया गया वहीं ऐसे अधिकारियों पर कार्यवाही होना चाहिए जिन्होंने अपने कर्तव्य में घोर लापरवाही की है। उनकी इस कार्यप्रणाली से समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? कुछ पुलिस अधिकारियों के कार्यों के कारण पुलिस की छवि धूमिल होती है। 

यह था मामला : –

मामले में ज्ञात है कि 15 मार्च 2019 को देवेंद्र चौरसिया की उनके हटा स्थित क्रेशर पर 20 लोगों ने मिलकर हत्या कर दी थी तथा उनके पुत्र सोमेश चौरसिया को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। इस मामले में पुलिस ने सोमेश चौरसिया एवं उनके परिजनों की रिपोर्ट के आधार पर रामबाई के पति गोविंद सिंह, उनके देवर चंदू सिंह, भतीजे गोलू परिहार, जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल के पुत्र इंद्र पटेल सहित 20 आरोपियों के विरुद्ध धारा 294, 323, 325, 307, 506, 302, 147, 148, 149, 212, 216, 120 बी 201, 75 तथा 25- 27 आर्म्स एक्ट के तहत मामला पंजीबद्ध कर संज्ञान में लिया था।

विधायक बोली पति निर्दोष : –

न्यायालय का आदेश पारित होने के बाद विधायक राम भाई परिहार ने कहा कि वह न्यायालय के आदेश का सम्मान करती है इस पर कोई टिप्पणी करना नहीं चाहती लेकिन वह न्याय के लिए उच्च न्यायालय की शरण लेंगी। उन्होंने कहा कि उनकी पति निर्दोष तथा उन्हें फंसाया गया है। उन्हें किसी भी सरकार ने कोई मदद नहीं की।

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