दमोह : घोटाले के लिए गाइडलाइन ही बदल दी ,गणवेश निर्माण में एनआरएलएम की एक और गड़बड़ी आई सामने
घोटाले के लिए गाइडलाइन ही बदल दी ,
गणवेश निर्माण में एनआरएलएम की एक और गड़बड़ी आई सामने
दमोह से शंकर दुबे की रिपोर्ट : – ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा स्कूल के बच्चों को बंटने वाली ड्रेस निर्माण में हुई धांधली की परतें लगातार खुल रही हैं। अब हालत यह हो गई है कि प्रशासनिक अधिकारी राजनीतिक दबाव में न तो मामले की जांच करा पा रहे हैं और न कुछ कहने की स्थिति में हैं। लिहाजा ईमानदार अधिकारी पशोपेश में है और कुछ अधिकारी और रसूखदार राजनीतिक मलाई खा रहे हैं।
जिलेभर के करीब ढाई लाख बच्चों को बंटने वाली शाला गणवेश मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में जितनी गहराई से समीक्षा की जाए उतने ही प्रकार के मामले सामने आ जाते हैं। पूरे मामले में शासन की गाइडलाइन का 1% भी पालन नहीं किया गया है। यही बात सामने आ रही है कि करीब दस करोड़ रुपये की राशि को ठिकाने लगाने के पूरे इंतजाम अधिकारियों, राजनीतिक रसूखदारो और ठेकेदारों ने किए हैं। गौरतलब है कि राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा हर साल पात्र बच्चों को गणवेश वितरण किया जाता है लेकिन गुणवत्ता की लगातार शिकायतें मिलने के बाद शासन ने पूरी गाइडलाइन बदल दी। नई गाइडलाइन के अनुसार शासन ने स्व सहायता समूहों से गणवेश निर्माण कराने के नियम जारी किए थे। जिसके अंतर्गत प्रत्येक समूह के खाते में उनकी ड्रेस संख्या के हिसाब से सिलाई सहित दो से तीन किस्तों में राशि डालना थी। यह राशि एन आर एल एम के द्वारा डाली जाना थी। लेकिन एनआरएलएम के अधिकारियों ने पूरे दिशा निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए मनमाने तरीके से कपड़े की खरीदी कर ली। कपड़ों की बुरहानपुर लैब से न तो टेस्टिंग कराई गई और न ही उसमें गुणवत्ता का ध्यान रखा गया। जबकि होना यह था कि समूह अपनी पसंद या उस स्थान से गुणवत्ता युक्त कपड़े की खरीदारी करते जहां उन्हें कम से कम मूल्य पर कपड़ा मिलता। जिससे समूह को भी अधिक बचत होती और समूह की महिलाएं कार्य करने में रुचि दिखाती। अधिकारियों ने कई स्व सहायता समूहों को इसके लिए बाध्य किया कि उनकी बताई संस्था से ही कपड़े खरीदे जाएं। एक नया खुलासा यह भी हुआ है कि इसमें एक अन्य व्यक्ति भी शामिल है जो कि शिक्षा विभाग में पदस्थ है तथा उसी के जीएसटी नंबर पर खरीदारी कर ली गई है जो कि कपड़ा सप्लाई में पात्र नहीं है। यह सब काम कपड़ा सप्लाई कर रहे अजीत मोदी नामक व्यक्ति के सुपुर्द है।
कई नेता हैं लिप्त : –
जब इस सारे काम का बंदर बांट होना था तो इसमें सभी कद्दावर नेता शामिल हो गए। किसी ने एक ब्लॉक का काम ले लिया, तो किसी ने दो ब्लॉक का काम ले लिया। किसी ने मंत्री के फोन पर काम समेट लिया तो किसी ने विधायकों व पूर्व मंत्री की आड़ लेकर अपना काम सिद्ध किया।
ऐसा पॉवर और इमानदारी किस काम की : –
इस पूरे घपले में मात्र जिले के कलेक्टर तरुण राठी ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी मामले में जरा भी संलिप्तता नहीं है। पाक साफ होने के बाद भी वह राजनीतिक दबाव के कारण कोई कार्यवाई नहीं कर पा रहे हैं उनके लिए स्थिति ऐसी बन गई है कि न वह उगल पा रहे हैं और न निगल पा रहे है। लेकिन ऐसा पावर और ईमानदारी भी किस काम की कि दोषी अधिकारियों पर कार्यवाई ही न कर सकें।