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दमोह उपचुनाव : बुंदेलखंड के BJP नेता नहीं चाहते सिंधिया की दखल, बिगड़ सकता है समीकरण, इसलिए… रखा गया दूर

मध्यप्रदेश/दमोह – मध्यप्रदेश की दमोह सीट कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गई हैं। कांग्रेस की कोशिश इस पर अपना कब्ज़ा बरकरार रखने की है वहीं बीजेपी इसे वापिस पाना चाहती हैं। यहां 17 अप्रैल को मतदान के बाद रिजल्ट 2 मई को आएगा। लेकिन उस से पहले यहां सियासत का दौर शुरू हो गया हैं। दरअसल, इस सीट को जीतने के लिए दोनों ही दलों ने यहां प्रचार-प्रसार तेज़ कर दिया हैं। दोनों ही प्रमुख दलों के दिग्गज नेता यहां लगातार प्रचार-प्रसार कर रहे है, लेकिन इन सबके बीच सवाल ये उठ रहा है कि कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से गायब हैं। 

दमोह विधानसभा के उपचुनाव में अब तक भाजपा के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का चेहरा नजर नहीं आया है ना पोस्टर, बैनर और प्रचार में और ना ही सिंधिया की कोई सभा, रैली प्लान की गई हैं। बता दे कि 2 दिन बाद उन्हें भोपाल व ग्वालियर आना है फिर भी उनका दमोह का दौरा नहीं हैं। भाजपा में आने के बाद से सिंधिया के दायरे पर कांग्रेस सवाल उठाती रही हैं। 

हालांकि, सूत्रों की माने तो बुंदेलखंड के भाजपा नेता बुंदेलखंड में सिंधिया का दखल नहीं चाहते। इस कारण सिंधिया को फिलहाल इससे दूर रखा गया हैं। सिंधिया दसवें नंबर के स्टार प्रचारक जरूर हैं लेकिन मौजूदा समीकरणों के तहत उनका चुनाव में सक्रिय होना मुश्किल दिख रहा हैं। बताते चले कि बुंदेलखंड से भाजपा में कई कद्दावर नेता है इसमें केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल, प्रदेश के मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह शामिल हैं। 

गौरतलब है कि सिंधिया का सबसे ज्यादा असर अभी गवालियर और मालवा क्षेत्र में हैं। दायरा बढ़ाने के नजरिए से प्रदेश के दूसरे हिस्सों में भी जाते रहे हैं। दमोह उपचुनाव में सक्रियता दिखाने पर इस क्षेत्र में भी दखल बढ़ता लेकिन मौका नहीं मिला। सिंधिया की बुंदेलखंड में एंट्री भाजपा के स्थानीय समीकरणों को उलट-पुलट कर सकती हैं। यहीं कारण है कि उनको दमोह उपचुनाव से दूर रखा गया हैं। 

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