कोल क्राइसिस : क्या 4 दिन बाद छा जाएगा MP में अंधेरा? केंद्र ने प्रदेशों और केंद्रीय विद्युत इकाइयों को लिखा पत्र
- देश के साथ साथ मध्यप्रदेश में भी गहरा सकता है बिजली संकट
- देश भर की मांग के तहत सिर्फ 4 दिन का कोयला शेष
- मप्र में भी कोयले का स्टॉक ऊंट के मुंह में जीरे बराबर
भोपाल/खाईद जौहर : देशभर में छाए कोल क्राइसिस को लेकर एक और चिंताजनक खबर सामने आई, ये चिंताजनक खबर मध्यप्रदेश के लिए है। दरअसल, मौजूदा हालात में मध्य प्रदेश के पास 238400 मीट्रिक टन कोयला बचा है, जबकि रोजाना की खपत 70000 मीट्रिक टन है। आंकड़े को देखते हुए कहा जा सकता है कि फिलहाल मध्यप्रदेश में सिर्फ चार दिन की बिजली ही बची हुई है।
केवल चार विद्युत ताप गृहों में कोयला बचा है जिसमें अमरकंटक पावर स्टेशन के पास 25800 मीट्रिक टन, संजय गांधी पावर हाउस के पास 74800 मीट्रिक टन, सतपुड़ा पावर प्लांट के पास 61700 मीट्रिक टन और सिंगाजी खंडवा पावर प्लांट के पास 70100 मीट्रिक टन का कोयला उपलब्ध है। कहने को मध्यप्रदेश में 9 थर्मल और 10 हाइड्रो पावर प्लांट है, इनमें विद्युत उत्पादन की कुल क्षमता 6315 मेगावाट है। लेकिन इस समय मध्यप्रदेश में उपलब्ध कोयले का स्टॉक भी ऊंट के मुंह में जीरे बराबर है।
वहीं, इन सबके बीच केंद्र सरकार ने तमाम प्रदेशों और केंद्रीय विद्युत इकाइयों को पत्र लिखा है, इसमें उसने कहा है कि कोयले (Coal) की कमी दूर करने के लिए 10 प्रतिशत कोयला आयात किया जाए। भारत सरकार ने अपने पत्र में माना है कि कोल इंडिया का उत्पादन नहीं बढ़ा है। विद्युत गृहों में 31 मार्च 2021 तक 28.9 मिलियन टन कोयला उपलब्ध था। ये घटकर अब 7 अक्टूबर तक सिर्फ 7.3 मिलियन टन बचा है। ये देश भर की मांग के तहत सिर्फ 4 दिन का शेष है।