भोपाल : वायरल फीवर का संक्रमण बढ़ा, जूडा की हड़ताल, 10 मरीज़ों की मौत! हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक ने किया ये दावा
- मानदेय में बढ़ोतरी समेत अन्य मांगों को लेकर जूड़ा ने की हड़ताल
- भोपाल में कुछ जूडा ने हड़ताल का बहिष्कार करते हुए किया काम
- हड़ताल को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने सभी सीनियर डॉक्टरों को लगाया काम पर
भोपाल : शहर में वायरल फीवर का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। इसके बाद भी जूनियर डॉक्टर (जूडा) हड़ताल पर चले गए। ये पहला मौका नहीं है जब जरूरत के वक्त जूडा हड़ताल पर गए हो, इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ है।
दरअसल, मानदेय में बढ़ोतरी समेत अन्य मांगों को लेकर जूड़ा ने इस साल 31 जून से 6 जुलाई के बीच हड़ताल की थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद हड़ताल वापस ली, पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जूड़ा के पंजीयन पर रोक लगा दी थी। जिनका पंजीयन रोका है, उनमें जूड़ा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरविंद मीणा, जीएमसी जूडा अध्यक्ष डॉ. हरीश पाठक और शुभम चौरसिया शामिल हैं। इन्हीं के पंजीयन रोकने के विरोध में यह हड़ताल की जा रही है।
वहीं, इन सबके बीच इस बात का दावा किया गया था कि इस हड़ताल में जीएमसी के सभी जूडा के साथ ही प्रदेश के अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेज के जूडा की ओर से हड़ताल की जाएगी। लेकिन, बुधवार को सिर्फ राजधानी में ही जूडा की हड़ताल हुई, बाकी शहरों में जूडा काम पर रहे। यही नहीं, भोपाल में भी कुछ जूडा ने हड़ताल का बहिष्कार करते हुए काम भी किया।
बताया जा रहा है की 50 से ज्यादा जूडा काम पर मौजूद रहे। इसके अलावा अस्पताल प्रबंधन ने सभी सीनियर डॉक्टरों को काम पर लगा दिया था। 250 से ज्यादा सीनियर डॉक्टर और करीब 70 से भी ज्यादा एसआर और 30 मेडिकल ऑफिसर ने मोर्चा संभाला रखा था।
इधर, सूत्रों की मानें तो, जुड़ा की इस हड़ताल के कारण भोपाल के हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल में 10 मरीजों ने दम तोड़ दिया। वहीं, 35 ऑपरेशन टालना पड़े। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों की मौत से इनकार किया है। हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. लोकेन्द्र दवे ने दावा किया कि जूड़ा की हड़ताल में को देखते हुए हमने पहले से तैयारी कर ली थी। जूडा के न होने पर सीनियर डॉक्टरों ने ओपीडी संभाली। ओपीडी में करीब 1200 मरीज पहुंचे। 35 सर्जरी की गई। उन्होंने कहा कि अस्पताल में प्रतिदिन 8 से 10 मौत होना सामान्य है।