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भोपाल : ऑक्सीजन की कमी के कारण पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में 10 से 12 कोरोना मरीज़ो की मौत, प्रबंधन ने किया इंकार 

मध्यप्रदेश/भोपाल – मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में सोमवार सुबह 5 से 7 बजे के बीच 10 से 12 कोरोना मरीजों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण इन सबकी मौत हुई हैं। हालांकि, इस मामले में पीपुल्स प्रबंधन का कहना है कि सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन की कमी से मौत की भ्रामक खबरें चल रही हैं। सप्लाई कुछ देर के लिए कम हुई थी, लेकिन थोड़ी देर में ठीक कर ली गई थी। अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि मौत होने की वजह तबीयत का ज्‍यादा बिगड़ना हैं। ऑक्सीजन की सप्लाई कम या ज्यादा होती रहती हैं। 

वहीं, पड़ताल में घटना की बड़ी वजह पता चली। वो ये कि जब ऑक्सीजन प्रेशर डाउन हुआ, तब पीपुल्स प्रबंधन ने तुरंत इसकी सूचना प्रशासनिक अधिकारियों को नहीं दी। प्रशासन को जब सूचना मिली, तब उसने जंबो सिलेंडर अस्पताल पहुंचाए और प्रेशर मेंटेन कराया। यदि और देर हो जाती तो वार्ड में मौजूद 40 अन्य मरीजों की जान चली जाती।

जानकारी के मुताबिक, जिन 10 से 12 कोरोना मरीजों की मौत हुई है ये सभी डी ब्लॉक के कोविड वार्ड में भर्ती थे। बताया जा रहा है कि सुबह अचानक से ऑक्सीजन सप्लाई का प्रेशर कम हुआ और आईसीयू में भर्ती मरीजों को घबराहट होने लगी। इसे देख वार्ड का नर्सिंग स्टाफ चीखने-चिल्लाने लगा। अफरा-तफरी मच गई। कुछ नर्साें ने अपने परिचित मरीजों के परिजनों को सूचना दी तो वे दौड़ते-भागते कोविड डी-ब्लॉक के चैनल गेट पर आ गए। यहां ताला लगा था। वे चिल्लाए कि ऑक्सीजन खत्म हो गई है, हमें भीतर जाने दो।

उन्हें देखकर गेट पर मौजूद गार्ड घबराकर अंदर भाग गया। कुछ परिजन अपनों की जान बचाने के लिए इमरजेंसी में रखे छोटे सिलेंडर उठा लाए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कुछ मरीज दम तोड़ चुके थे। इसके बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया।

इसके इसके अलावा खबर ये भी है कि पीपुल्स से दिनभर एक-एक कर शव निकलते रहे। जब मीडियाकर्मी वहां पहुंचे, तो कुछ देर के लिए शवों को निकालने का काम रोक दिया गया। यहां से 10 शव सुभाषनगर विश्राम घाट पहुंचे। 

इधर, इस पुरे मामले में पीपुल्स अस्पताल के अधीक्षक डॉ आलोक कुलश्रेष्ठ का कहना है कि ऐसी कोई घटना घटित नहीं हुई हैं। ऑक्सीजन सप्लाई में दवाब कम होने के कारण इसकी उपलब्धता में कुछ समय के लिए कमी आई थी, जिसको थोड़ी देर में ठीक कर लिया गया था। मौतें नहीं हुई हैं। 

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