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क्या अतिथिविद्वान सरकार को कमबैक करा पाने में होंगे मददगार?

भोपाल / गरिमा श्रीवास्तव :- लम्बे वक़्त से अतिथिविद्वानो की स्थिति बेहद खराब है। वेतन और नियमितीकरण न मिल पाने की वजह से अतिथिविद्वान ने अपनी जान दे दी। एक मासूम काव्यांश की जान सही तरीके से इलाज न करा पाने के कारन चली गई। मध्यप्रदेश का सियासी तूफान थमने का नाम नही ले रहा है। सबके मन मे यही असमंजस की स्थिति बनी हुई है की सरकार बचेगी या नही। जो राजनैतिक अस्थिरता प्रदेश सरकार के सामने आई है, उसका ज़िम्मेदार आखित कौन है? इस बीच सरकार गठन के बाद लगभग सवा साल तक प्रदेश के सबसे चर्चित मुद्दे के रूप में खबरों में आये अतिथिविद्वान नियमितीकरण का मुद्दा सुलझ सकता है। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजकद्वय डॉ देवराज सिंह एवं डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार सरकार के सामने अब भी समय है। वह अतिथिविद्वानों के नियमितिकरण जैसे लोकप्रिय फैसले लेकर फिर से जनता के बीच अपनी साख मज़बूत कर सकती है।

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता डॉ मंसूर अली का कहना है कि प्रदेश में राजनैतिक अस्थिरता के बावजूद कमलनाथ सरकार अतिथिविद्वान नियमितीकरण जैसे लोकप्रिय निर्णय लेकर डैमेज कन्ट्रोल कर सकती है। अतिथिविद्वानों  के नियमितीकरण का मुद्दा पिछले छः माह से चर्चा में रहा है। यदि सरकार इस संबंध में सार्थक निर्णय लेती है तो निःसंदेह कांग्रेस पार्टी के वचनपत्र का एक महत्वपूर्ण वादा पूरा हो जाएगा एवं सरकार की लोकप्रियता में इज़ाफ़ा होगा। इसी तरह के जनकल्याणकारी फैसलों से सरकार जनता के बीच अपनी लोकप्रियता पुनः अर्जित करने में सफल होगी।

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा में मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय के अनुसार अतिथिविद्वानों का नियमितीकरण एक लंबे संघर्ष और कई अतिथिविद्वान साथियों के बलिदान का एक सुखद परिणाम होगा। भोपाल के शाहजहांनी पार्क में अतिथिविद्वानों ने 3 माह पूर्व आंदोलन की शुरुआत की थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह क्षेत्र छिन्दवाड़ा से प्रारम्भ हुआ नियमितीकरण का संघर्ष भोपाल मे आज भी जारी है। सरकार यदि नियमितीकरण के संबंध में जल्द फैसला लेती है तो निःसंदेह यह फैसला सरकार के लिए दूरगामी परिणाम देने वाला हो सकता है।
अब देखना यह है की क्या वाक़ई कमलनाथ सरकार इस मुश्किल घड़ी में अतिथिविद्वानो का साथ देकर अपनी लोकप्रिययता बढ़ाएगी। और अपने एक और वादे पूरी करेगी ?

 

 

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