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भोपाल: कैबिनेट विस्तार के बाद डैमेज कंट्रोल की ओर भाजपा, अपने करीबियो को कैसे मनाएंगे शिवराज

भोपाल: कैबिनेट विस्तार के बाद डैमेज कंट्रोल की ओर भाजपा, अपने करीबियो को कैसे मनाएंगे शिवराज
भोपाल/राजकमल पांडे।
बीते 3 जनवरी को मप्र में कैबिनेट विस्तार के बाद जिस तरह प्रदेश की राजनीति गरमाई है, वह अब सोशल मीडिया प्रतिक्रिया व आम चर्चाओं से साफ छलक रहा है कि भाजपा के बहुत से नाखुश विधायक शिवराज से सीधा संवाद पर आ सकते हैं. शिवराज मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद भाजपा के वरिष्ठ विधायकों और पूर्व में महत्वपूर्ण विभागों में मंत्री रहे पार्टी नेताओं को गहरा झटका तो लगा ही है साथ सूत्रों के मुताबिक शिवराज की सरकार आने के बाद दो मंत्री गोविन्द राजपूत और तुलसी सिलावट को क्रमश: परिवहन व राजस्व विभाग और जल संसाधन विभाग दिए गए थे वहीं इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पुनः इन्हें वही विभाग सौंपना जा सकता है. वहीं प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों और वर्गों से निरंतर पार्टी के लिए काम कर रहे विधायकों को मंत्री बनाने की मांग उठ रही थी. लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार में सिर्फ दो सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाए जाने के बाद उनमें निराषा के साथ दबा हुआ आक्रोश भी सामने आया है. और पार्टी की तरह से जिन विधायकों को मनाने की कवायद शुरू होनी वाली है उसमें संजय पाठक, पारस जैन, रामपाल सिंह, राजेन्द्र शुक्ला, गौररशंकर बिसेन, अजय विश्नोई, नागेन्द्र सिंह, महेन्द्र हार्डिया तथा वहीं पूर्व में रहे मंत्रियों में गायत्री राजे पवार, यशपाल सिसोदिया, रमेश मेंदोला, गिरीश गौतम, केदार शुक्ल और मालिनी गौड़ सहित वरिष्ठ विधायकों के नाम हैं. और इस सब के बाद भी सबसे अहम बात यह है कि इसमें अधिकांश पूर्व मंत्री और विधायक मुख्यमंत्री शिवराज के बेहद करीबी माने जाते हैं. साथ ही उन्हें संगठन और संघ से जुड़े नेताओं का समर्थन भी प्राप्त होता रहा है.

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