अतिथिविद्वानों के उम्मीदों पर पानी फेर रहे हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सेवा में बहाली को लेकर अतिथि विद्वान लगातार लगा रहे हैं गुहार
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अतिथिविद्वानों के उम्मीदों पर पानी फेर रहे हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सेवा में बहाली को लेकर अतिथि विद्वान लगातार लगा रहे हैं गुहार
' एकमात्र आशा का केंद्र शिवराज सरकार ही अतिथि विद्वानों के लिए अब बची है '
' सीएम शिवराज सिंह चौहान और उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. मोहन यादव ने इनको कई बार नीति बनाने का भरोसा दिया है ' :-
भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव:- नियमित होने का दर्जा प्रदेश की शिवराज सरकार से महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों को 1 साल बाद तक भी नहीं मिल पाया है। हालांकि इनकी आशा का केंद्र बिंदु भी शिवराज सरकार ही अब बची है। क्योंकि पूर्व कमलनाथ सरकार में इनके दिसंबर 2019 से मार्च 2020 के मध्य चले भोपाल के शाहजहांनी पार्क में आंदोलन के समय इनके पंडाल से लेकर विधानसभा तक इनका साथ वर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान, कैबिनेट मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, विश्वास सारंग, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा, विधायक प्रदीप पटेल आदि ने दिया था। इसी विश्वास के कारण वर्तमान में चल रहे विधानसभा सत्र में अपने मुद्दे को शीघ्र हल करवाने की आस लगाए बैठे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने इनको कई बार नियमितीकरण नीति शीघ्र बनाने की बात मुलाकात के दौरान कही है। वास्तव में इनकी मांग लाजिमी भी है। क्योंकि इन्होंने सन 2002 से कालखंड दर पर अतिथि विद्वान के रूप में और इससे पूर्व 8000 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से अंशकालीन सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्य किया है। वहीं एमपीपीएससी से हुई नियमित भर्ती में 5 प्रतिशत बोनस अंक 5 वर्ष अनुभव के मिलने के कारण इनका उद्धार नहीं हो पाया था।
वही पूर्व कमलनाथ सरकार ने विधानसभा चुनाव से पूर्व इनको सहायक प्राध्यापक भर्ती, क्रीड़ा अधिकारी और ग्रंथपाल की नियमित भर्ती की सीबीआई जांच करवाने का दावा चुनाव से पूर्व किया था। साथ ही अपने वचन पत्र में भी नियमितीकरण का बिंदु जोड़ा गया था। परंतु नियमित करना तो दूर उल्टा इनके पदों पर नियमित भर्ती की नियुक्ति करके 2500 से अधिक अतिथि विद्वानों को बेघर कर दिया था। जिसका खामियाजा फाॅलेन आउट के दर्द के रूप में 600 अतिथि विद्वान वर्तमान तक भोग रहे हैं।
अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी का इस संबंध में कहना है कि, 15 वर्ष तक भाजपा सरकार में कालखंड दर और प्रति कार्य दिवस पर सेवा देने के बाद तो अब वर्तमान विधानसभा सत्र में ही शिवराज सरकार को हमारे अधूरे भविष्य का फैसला ले लेना चाहिए। जिसकी उम्मीद 4200 से अधिक अतिथि विद्वानों के साथ उनका परिवार और उनके रिश्तेदार भी कर रहे हैं।