सुप्रीम कोर्ट में अब नहीं चलेगी समय को लेकर मनमानी, जानिए क्या है पूरी खबर
सुप्रीम कोर्ट में अब नहीं चलेगी समय को लेकर मनमानी, जानिए क्या है पूरी खबर
- गुजरात हाई कोर्ट के एक वकील की याचिका पर हो रही थी बहस
- दशकों से लंबित मामलों के बीच ताजा मामलों पर घंटों बहस स्वीकार नहीं
नई दिल्ली:
देश की सर्वोच्च न्यायालय ने मुकदमों की तेज सुनवाई की दिशा में सख्त समय सारणी के आवंटन की तरफ पहला कदम बढ़ा दिया है। शीर्ष अदालत की एक पीठ ने कहा है कि अगर समय सीमा का ख्याल नहीं रखा गया तो सुनवाई स्वत: ही अनिश्चितकाल के लिए टल जाएगी।
गौरतलब है अमेरिका और इंग्लैंड के सुप्रीम कोर्ट में भी इसी तरह से सुनवाई में समय सीमा का ख्याल रखा जाता है। सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा “कि हमें नहीं लगता कि यूके और यूएस के सुप्रीम कोर्ट में ऐसा कोई सिस्टम है जो वकीलों को घंटो बहस की अनुमति देता हो। हम दशकों पुराने मामले को लंबित रखकर ताजा मामलों पर वरिष्ठ वकीलों की घंटो-घंटो चलने वाली दलीलों को जायज कैसे ठहरा सकते हैं?”
एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस आर एस रेड्डी की बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं – अभिषेक मनु सिंघवी और अरविंद दातर को यतिन ओझा की याचिका पर बहस के लिए आधे घंटे जबकि गुजरात हाईकोर्ट के वकील निखिल गोयल को 1 घंटे और इंटरवीनर के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस सुंदरवन को 15 मिनट का वक्त दिया।यतिन ने गुजरात हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें हाई कोर्ट ने इस आधार पर उन्हें सीनियर एडवोकेट के दर्जे से वंचित कर दिया कि वो न्यायाधीशों और न्यायपालिका की अक्सर आलोचना करते रहते हैं।
जस्टिस कौल ने कहा, “यूएस सुप्रीम कोर्ट में वकील को सिर्फ जजमेंट का हवाला देने की अनुमति होती है, ना कि इसे पूरा पढ़ने की। लेकिन, यहां जज 20-20 जजमेंट का न केवल हवाला देते हैं बल्कि अपनी दलील को दमदार बनाने के लिए सभी आदेशों की कॉपी पढ़ते भी हैं।' पीठ ने वकीलों से कहा कि उन्हें अपनी दलील को दमदार बनाने वाले सर्वोत्तम आदेश का ही चयन करें और एक दलील के लिए सिर्फ एक जजमेंट का ही हवाला दें। सुप्रीम कोर्ट में अक्सर देखा जाता है कि वकील जजों से कहते हैं कि वो घड़ी देखकर 10 सेकंड में अपनी बात कह देंगे, लेकिन 10 मिनट ले लेते हैं”