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श्रीयंत्र पर स्थापित है बोधवाड़ा का अति प्राचीन देवप्रित शिव मंदिर

श्रीयंत्र पर स्थापित है बोधवाड़ा का अति प्राचीन देवप्रित शिव मंदिर

              

कुुक्षी/मनीष आमले : – पतित पावनी मां नर्मदा के उत्तर तट पर खण्डवा बड़ौदा राजमार्ग पर छोटी कसरावद ओर गणपुर चौकड़ी के मध्य सोंण्डल बाबा मंदिर से 3 किलोमीटर नर्मदा किनारे बोधवाड़ा ग्राम में सदियों  पुराना अति प्राचीन 12 वीं सदी का शिव मंदिर स्थापित है।
यह मंदिर एक चट्टान पर बनाये गए श्रीयंत्र पर स्थापित है। इस देवप्रीत मंदिर में विराजित भूतभावन भगवान भोलेनाथ का लिंग बड़ा चमत्कारी है  इस लिंग की ऊपरी गोलाई पर मामुली हल्का सा गड्ढा है जहां पानी  भरा रहता है उस पानी को साफ कर देते है तो पुनः लिंग की टॉप पर पानी भर जाता है निश्चित ही यह  चमत्कार ही कहा जा सकता है क्योंकि इस पर पानी आने का कोई स्रोत नही है । इस मंदिर का उल्लेख शिव पुराण एवं नर्मदा पुराण में भी है। कहा जाता है इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना देवताओ द्वारा की गई थी जिसका निर्माण विश्वकर्मा जी ने किया था।यहां एक  गुफा भी है जिसमें कई ऋषि मुनियों ओर संतों ने  तपस्या ओर साधना की थी जिसे अब ढक दिया गया है। यहां मालवा निमाड़ के प्रसिद्ध संत ब्रह्मलीन गजानन जी महाराज बालीपुर धाम ने 1942 से 43 के आसपास साधना की थी। कहा जाता हैै कि इसी स्थान से उन्होंने अपने तपस्वी जीवन कि शुरूआत की थी।यह स्थान प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है। इस मंदिर में पत्थरों का शिव यंत्र बना है एवं मंदिर के छत पर देवी शक्ति का यंत्र स्थापित है जो संभवतया भारतवर्ष इसी मंदिर मे है। इस परिसर में संकटमोचन हनुमानजी भी विराजित है यहां कई लंबे अरसे से दीपक अखण्ड ज्योति के रूप में प्रज्वलित है। 
           एक बार की बात है कि ग्राम वासियों ने वर्षा के अभाव में इंद्रदेव  को मनाने के लिए टोटके स्वरूप इस महादेव को पानी में डुबोने की ठानी लेकिन 10 हॉर्सपॉवर की मोटर से पानी भरने के बाद भी ये देवप्रित शिवलिंग नहीं डूबे श्रद्धालुओं ने इसे चमत्कार माना। यहां आने एवं दर्शन करने से निश्चित ही असीम शांति का अनुभव होता है।
 

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