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बाल विवाह पर रोक लगाने प्रशासन ने उठाए सख्त कदम, लाडो अभियान के अंतर्गत रुकवाई चार शादियां

ग्वालियर। अक्षय तृतीया 14 मई के मुहूर्त के अवसर पर सामूहिक विवाह होते हैं। इस दौरान बाल विवाह होने की प्रबल आशंका रहती है। इन अवसरों पर विशेष रूप से विवाह पर निगरानी रखते हुए प्रशासन बाल विवाह रोकथाम के लिए कार्रवाई में जुटी हुई हैं। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने लाडो अभियान के तहत जिले में तीन जगहों से 4 शादियां रुकवाईं है। कंट्रोल रूम में प्राप्त सूचना के आधार पर बाल विवाह रुकवाए गए हैं। प्राप्त सूचना के आधार पर गठित दलों द्वारा मौके पर पहुँचकर दस्तावेजों की जांच कर बालिकाओं की उम्र 18 वर्ष से कम होने के कारण विवाह रुकवाए गए।

पहली सूचना ग्राम बिल्हारा मुरार से प्राप्त हुई जहाँ 18 वर्ष से कम उम्र की बालिका का विवाह किया जा रहा था। सूचना प्राप्त होते ही महिला एवं बाल विकास विभाग एवं थाना हस्तिनापुर की संयुक्त टीम मौके पर पहुँची तथा प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर बालिका की उम्र 18 वर्ष से कम पाई गई, जिस पर टीम द्वारा परिजनों को विवाह न किए जाने हेतु समझाइश दी गई। जिस पर
बालिका के परिजन विवाह न करने हेतु व वर पक्ष द्वारा भी विवाह न किए जाने हेतु सहमति दी गई। इस प्रकार परामर्श के द्वारा बाल विवाह को रोका गया।

दूसरी बाल विवाह की सूचना ग्राम सुहाना डबरा से प्राप्त हुई। सूचना प्राप्त होते ही महिला एवं बाल विकास विभाग मौके पर पहुँचकर बालिका के दस्तावेजों की जांच पड़ताल की, जिसमें दस्तावेजों के अनुसार बालिका की आयु 18 वर्ष से कम पाई गई। बालिका की उम्र विवाह हेतु निर्धारित उम्र से कम होने के कारण विवाह रोका गया तथा बालिका को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया तथा बालिका को देखरेख व संरक्षण हेतु संस्था वन स्टॉप सेंटर में भेजा गया है।

तीसरी बाल विवाह होने की सूचना मौनी बाबा मंदिर मांडरे की माता पर होने वाले सामूहिक विवाह सम्मेलन से प्राप्त हुई। सूचना प्राप्त होते ही महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी के नेतृत्व में सिटी चाईल्ड लाइन व थाना झांसी की संयुक्त टीम मौके पर पहुँचकर बाल विवाह किए जाने वाले जोड़ों के दस्तावेजों का परीक्षण किया। जिसमें दो प्रकरणों में बालिका की आयु 18 वर्ष से कम पाई गई। बालिकाओं की उम्र विवाह हेतु निर्धारित आयु से कम होने के कारण विवाह रोका गया और दोनों बालिकाओं को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति जिला ग्वालियर में प्रस्तुत किया गया। बालिकाओं को देखरेख व संरक्षण हेतु संस्था वन स्टॉप सेंटर में प्रवेश दिलाया गया है।

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